रईसजादे ने कुचला, जिंदगी के लिए तड़प रही महिला

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मर्सिडिज, ऑडी जैसी लंबी लंबी गाड़ी लेकर दिल्ली के रईसजादे सड़क से ऐसे गुजरते हैं, जैसे फायर बिग्रेड की गाड़ियां इमरजेंसी में कहीं आग बुझाने जा रही हों। सड़क पर रह जाती है तो बस धूल और पीछे छूटे वो लोग, जो पैदल या साइकिलों पर हर रोज की तरह अपनी रोजी-रोटी की लड़ाई लड़ने के लिए घर से निकलते हैं।

दिल्ली के पॉश इलाकों में से एक वसंत कुंज में अपने बेटे विक्की की साइकिल पर पीछे बैठ कर एक रईसजादे के घर में काम करने जा रही 35 साल की रानी देवी अपने सपनों में खोई ही थी कि पीछे आती एक तेज रफ्तार स्विफ्ट डिजायर कार ने उन्हें टक्कर मार दी। जब तक कोई कुछ समझ पाता। विक्की साइकिल से करीब 10 फीट दूर पर जा गिरा जबकि रानी देवी कार की रफ्तार के साथ थी।rani devi 1रफ्तार के नशे में चूर व्यक्ति जैसे अपनी ही दुनिया में मस्त था। उसे इस बात का भी ख्याल नहीं था कि कुछ समय पहले जो मां-बेटे सुनहरे भविष्य के सपने देखते हुए काम पर जा रहे थे, अब सड़क पर मदद की गुहार लगा रहे हैं। बेहोश हो चुकी रानी देवी को मरा समझ, ड्राइवर एक पल के लिए कार से उतरा। पर जैसे ही देखा कि पीछे सड़क पर पड़ा घायल लड़का मदद के लिए हाथ उठाने लगा है, ड्राइवर फिर से अपनी कार में सवार हुआ और डर या किसी झमेले से बचने के लिए भाग निकला।

मदद को आगे आए मजदूर

आस-पास काम कर रहे मजदूर मां-बेटे मदद के लिए भागे और मामले की गंभीरता को देखते हुए एंबुलेंस और पुलिस को बुलाया। एंबुलेंस भी मौके पर आ पहुंची और इमरजेंसी देखते हुए पास के ही फोर्टिस अस्पताल लेकर पहुंच गई। प्राथमिक उपचार करने के बाद हॉस्पिटल अधिकारियों ने घायल को एम्स ले जाने के लिए कहा, क्योंकि मरीज का परिवार इस हॉस्पिटल के खर्चे का वहन करने में असमर्थ था। खैर महिला को सफदरजंग अस्पताल में दाखिल कर लिया गया। डॉक्टरों ने भी इलाज करना शुरू किया। सर पर कई अंदरूनी चोटों और घायल पसलियों के बावजूद शायद ये महिला की जीने की इच्छा शक्ति ही थी, जो उसे जीवन की तरफ खींच रही थी।

डॉक्टरों का विचलित कर देने वाला व्यवहार

अगली सुबह डॉक्टरों द्वारा एक और मरीज को रानी देवी के साथ ही बिस्तर पर लिटा दिया गया। जब भुवनेश्वर मिश्रा (महिला के पति) ने रोष जताया तो डॉक्टरों द्वारा कहा गया कि ये सफदरजंग अस्पताल है। पता है मरीजों की कितनी लम्बी लाइन रहती है यहां? रखना है तो रखो, नहीं तो यहां से लेकर चले जाओ।rani devi 3एक पल को डॉक्टर का यह व्यवहार किसी को भी विचलित कर सकता है। डिग्री लेते समय जो डॉक्टर निस्वार्थ भाव से सेवा की कसमें खाते हैं, वो अचानक कैसे निर्दयी हो सकता है। इसी बीच वो समय भी आ गया जब रानी देवी को आखिरकार मामूली चोट बताकर घर भेज दिया गया।

हालत में नहीं है कोई सुधार

अस्पताल से घर आने के बाद भी रानी देवी की हालत में कोई खास नहीं सुधार नहीं हुई है। बेटा भी कमरे के कोने में बैठा हुआ दर्द से बेचैन है। बेटी और पड़ोसन रानी देवी की मदद करने में लगे हुए हैं।rani devi 2इन सब को देखकर और इस घटना के बारे में बताते हुए बिहार के मुजफ्फरपुर से आये भुवनेश्वर मिश्रा की आंखों में भी आंसू छलक आते हैं। जब केस करने के बारे में उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम गरीब आदमी हैं साहब, टूटी कमर मंजूर है, पर कोर्ट-कचहरी का चक्कर नहीं काट सकते।

सवालों के घेरे में पुलिस

इस एक्सीडेंट के बाद दिल्ली पुलिस कई को कई सवालों का जवाब देना पड़ेगा। क्या इतने पॉश इलाके में सड़कों पर सीसीटीवी कैमरा नहीं है, जिसके सहारे पुलिस फुटेज लेकर अपराधी तक पहुंचे? क्या पुलिस का काम सिर्फ वायरल कंटेंट या हाई प्रोफाइल केसों को ही सुलझाने का रह गया है? रानी देवी जैसे गरीब आदमी के लिए क्या कहीं भी इंसाफ की कोई जगह नहीं है? टूटी कमर और सर पर लगी चोट लिए रानी देवी का ये एक्सीडेंट कई सवालों को जहन में छोड़ता है।

पॉश इलाकों में से एक है वसंत कुंज

रानी देवी का जहां एक्सिडेंट हुआ वो दिल्ली के पॉश इलाकों में से एक है। जहां पूर्व आईएएस से लेकर शहर के बड़े-बड़े अमीर लोग रहते हैं। आम मुहल्लों की तरह होने के बावजूद यहां की सुबह थोड़ी अलग दिखाई देती है। उनके साथ ही होते हैं नीली शर्ट और खाकी पैंट पहने सरकारी स्कूल के वो बच्चे, जिनके जूतों के तलवों में छेद हैं, फिर भी खुद में मदमस्त अपने साथियों के साथ लोगों को देखते हुए वो अपने स्कूल की तरफ जा रहे होते हैं। इसके अलावा उलटे पल्ले की साड़ियां पहने रानी देवी जैसी महिलाएं और किसी के द्वारा दी गई शर्ट को पहने वो मर्द होते हैं, जो यहां की बड़ी-बड़ी कोठियों और बंगलों में खाना बनाने और घर साफ करने जैसे छोटे-मोटे काम करते हैं।

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