मोटापे से होता है टाइप टू मधुमेह
नई दिल्ली। देश में 6.9 करोड़ लोग मधुमेह की बीमारी से पीड़ित हैं और अनुमान है कि यह संख्या 2030 तक 10 करोड़ तक पहुंचने वाली है। मधुमेह दिल के रोगों और स्ट्रोक का प्रमुख कारण है। वहीं, टाइप टू मधुमेह मोटापे के कारण होता है।
इंडियन जरनल ऑफ एंडोक्रियोनॉलॉजी एंड मेटाबॉलिजम के पूर्व संपादक एवं एसएएफईएस में एंडोक्रिनॉलॉजिस्ट डॉ. संजय कालरा का कहना है कि “मोटापा टाइप टू मधुमेह का सीधा कारण है। पुरुषों को अपनी कमर का घेरा 40 इंच और औरतों को 35 इंच रखना चाहिए।
अगर किसी का कद 170 सेंटीमीटर है तो उसकी कमर 85 सेंटीमीटर यानी आधी होनी चाहिए। अच्छा कोलेस्ट्रॉल 50 एमजी से ज्यादा रखना चाहिए, इससे बुरा कोलेस्ट्रॉल लीवर में जाकर टूट जाता है और बाहर निकल जाता है। मूंगफली, संम्पूर्ण अनाज, ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त फ्लैक्स सीड और मछली जैसे आहार खाने से अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।”
डा. कालरा ने कहा कि शहरीकरण और पश्चिमीकरण ने 21वीं सदी की जीवनशैली पर गहरा प्रभाव डाला है। लोग कम सोते हैं, तनाव में रहते हैं, अस्वस्थ खानपान, मोटापा और बाहरी गतिविधियां बेहद कम हैं। आराम और तनाव मुक्त होने के लिए देर रात तक धूम्रपान और शराब पीने का माहौल होता है। इससे मधुमेह, दिल के रोग और हाईपरटैंशन जैसी गंभीर बीमारियां छोटी उम्र में होने लगी हैं। इसके रोकने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता फैलानी होगी।
उन्होंने कहा कि मांस और दुग्ध उत्पादों में ट्रिग्लिसाईड होता है जो शरीर में ऊर्जा और चर्बी जमा करता है जिससे दिल के रोग और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रैशर का उच्चतम स्तर 130 और न्यूनतम स्तर 85 से कम होना चाहिए। खाली पेट ग्लूकोज अगर 100 से ज्यादा हो तो यह भी खतरा हो सकता है।
डा. कालरा ने कहा कि कम फैट का आहार लेना, सफेद चीनी कम खाना, तनाव मुक्त रहने की तकनीक अपनाना और नियमित व्यायाम करना दिल के रोगों और मधुमेह का खतरा कम कर सकता है।