मुसलमानों के मन से दंगों का डर दूर करे सरकार: सूफी संगठन

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नई दिल्ली। अखिल भारतीय उलेमा एवं मशेख बोर्ड (एआईयूएमबी) ने मोदी सरकार समेत दुनियाभर की सरकारों से अनुरोध किया कि वे सूफी धर्म को पुनर्जीवित करें ताकि आतंकवाद से लड़ा जा सके। प्रथम विश्व सूफी मंच की बैठक के समापन पर एआईयूएमबी ने 25 सूत्री घोषणा पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि दंगों की वजह से मुस्लिमों में डर की भावना है।

एआईयूएमबी ने कहा कि सरकार को इस डर को दूर करना चाहिए और केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताना चाहिए कि देश के विभिन्न हिस्सों में अब तक हुई सभी छोटी या बड़ी सांप्रदायिक घटनाओं और दंगों के संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं।

दंगों के कारण मुस्लिमों के बीच ‘डर की भावना’ होने की बात पर गौर करते हुए सूफियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने रविवार को सरकार से इसका उन्मूलन करने को कहा। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में ‘ऐतिहासिक भूलों’ में सुधार करने का भी आग्रह किया, जिसने अतिवादी विचारधाराओं को जगह लेने दी, जो सूफी समुदाय के लिए खतरा है।

उन्होंने कहा कि विगत कुछ दशकों में भारत में सूफी मत को कमजोर करने और अतिवादी और चरमपंथी विचारधारा के उसकी जगह लेने के ठोस प्रयास किए गए हैं। यह परिघटना न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि देश के लिए भी खतरनाक है। हम प्रधानमंत्री से इन ऐतिहासिक भूलों को दूर करने का अनुरोध करते हैं।

संगठन ने कहा कि ‘हम दुनिया की सभी सरकारों और खासतौर पर भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह सूफीधर्म को पुनर्जीवित करने के लिए पूरा सहयोग दें।’ असहिष्णुता के माहौल के बारे में पूछे जाने पर अशरफ ने कहा कि कुछ घटनाओं के आधार पर हम तस्वीर निर्धारित नहीं कर सकते।
हमें इसे चिंता का विषय मानना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस बात को सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति प्रभावित नहीं हो क्योंकि इसके कमजोर होने को लेकर संकेत हैं। तब हमें इसे मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।

चार दिवसीय विश्व सूफी मंच का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया और इसमें 22 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

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