बहुलवाद और सहिष्णुता भारतीय सभ्यता के प्रतीक: राष्ट्रपति

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नई दिल्ली। देश में सहिष्णुता को लेकर चल रही बहस के बीच राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि बहुलवाद और सहिष्णुता ही हमारी सभ्यता की पहचान है। भारत की विविधता ही उसकी मजबूती है। राष्ट्रपति रविवार को नई दिल्ली में मध्य प्रदेश फाउंडेशन और अर्जुन सिंह सद्भावना फाउंडेशन द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के सम्मान में आयोजित स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि बहुलवाद और सहिष्णुता हमारी सभ्यता के प्रतीक रहे हैं। यह मुख्य दर्शन है जिसे निर्बाध जारी रहना चाहिए। क्योंकि, भारत की मजबूती उसकी विविधता में है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की विविधता एक तथ्य है। इसे कुछ हठी लोगों की सनक की वजह से कल्पना में नहीं बदलने दिया जा सकता। हमारे समाज की बहुलता सदियों से विचारों के आपस में जुड़ने से बनी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि बहुलवाद और सहिष्णुता ऐसे मूल गुण हैं जिसे हर हाल में बनाए रखा जाना चाहिए। भारत एक अरब 30 करोड़ लोगों, 122 भाषाओं, 1600 बोलियों, और 7 धर्मों का देश है। इन सभी को चंद लोगों की सनक पलट नहीं सकती।

इस मौके पर अर्जुन सिंह को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अर्जुन सिंह ऐसे नेता जिनका दिल एवं दिमाग दोनों जमीन से जुड़े थे। उन्होंने सत्ता मिलने से भी अपने सादगी नहीं छोड़ी और न ही उन्होंने आम आदमी के लिए अपनी चिंता छोड़ी। अर्जुन सिंह ने खुद को एक धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर आधारित एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए समर्पित कर दिया।

 

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