जन्मदिन विशेष : कभी दिलीप कुमार की दीवानी थीं जया बच्चन
नई दिल्ली। मशहूर फिल्म अभिनेत्री और राज्यसभा सदस्य जया (भादुड़ी) बच्चन मनोरंजन-जगत की आदरणीय अभिनेत्रियों में शुमार हैं। आज के अनेक युवा कलाकारों के लिए वह मातृत्व स्नेह की झरना हैं। जया महानायक अमिताभ बच्चन की पत्नी, अभिषेक बच्चन की मां और मिस वर्ल्ड रहीं ऐश्वर्य राय बच्चन की सास हैं।
जया भादुड़ी ने फिल्मों का रुख ऐसे समय में किया था, जब शर्मिला टैगोर, मुमताज और हेमा मालिनी जैसी अभिनेत्रियां दर्शकों के दिलों में खास जगह बना चुकी थीं। वहीं सत्तर के दशक में जया अपने मासूम और भोले-भाले चेहरे की बदौलत दर्शकों के मन में खास मुकाम बना लिया। जया की सादगी के सभी दीवाने हो गए।
पत्रकार तरुण कुमार भादुड़ी की तीन बेटियों में जया सबसे बड़ी हैं। तरुण कुमार का वास्तविक नाम सुधांशु भूषण था। सन 1936 में उनके पिता देवीभूषण दिल्ली से स्थानांतरित होकर नागपुर पहुंचे थे। वह रेवेन्यू विभाग में अकाउंट्स ऑफिसर थे। राजनीति के कारण तरुण कुमार को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती थी, इसलिए वे ‘नागपुर-टाइम्स’ में पत्रकार हो गए। सन 1956 में जब मध्य प्रदेश बना तो वह ‘स्टेट्समैन’ के प्रतिनिधि के रूप में भोपाल आ गए। बीच में दो साल चंडीगढ़ और पांच साल लखनऊ में भी रहे। उनका अधिकांश जीवन भोपाल में ही गुजरा।
तरुण ने 1944 में पटना की इंदिरा गोस्वामी से विवाह किया था। उनकी बेटी जया का जन्म जबलपुर में 9 अप्रैल, 1950 को हुआ। जया की दो छोटी बहनें हैं- नीता और रीता भादुड़ी। जया बचपन से ही जिद्दी स्वभाव की थीं। उन्हें जो चाहिए, वह हासिल करके छोड़ती थीं। जया ने भोपाल के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट में पढ़ाई की। खेलकूद में उनकी विशेष रुचि थी। सन 1966 में उन्हें प्रधानमंत्री के हाथों एनसीसी की बेस्ट कैडेट का तमगा मिला था। उन्होंने छह साल तक ‘भरतनाट्यम’ का प्रशिक्षण भी लिया था। वह अभिनेता दिलीप कुमार की बड़ी प्रशंसक रही हैं।
हाइयर सेकेंडरी पास करने के बाद, जया ने पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया था, लेकिन इससे पहले वह सत्यजित रे की बांग्ला फिल्म ‘महानगर’ में काम कर चुकी थीं। फिल्म निर्माता-निर्देशक तपन सिन्हा, जया के पिता तरुण कुमार के अच्छे दोस्त थे। जानेमाने निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी ने जया और अमिताभ का परिचय अपनी फिल्म ‘गुड्डी’ के सेट पर कराया था। वे दोनों हालांकि इससे पहले पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट में मिल चुके थे।
फिल्म ‘अभिमान’ में साथ काम करने के बाद अमिताभ और जया ने जिंदगी भर साथ निभाने का फैसला ले किया। फिल्म ‘शोले’ की कामयाबी के बाद 3 जून, 1973 को दोनों बंगाली रीति-रिवाज से परिणय-सूत्र में बंध गए। जया कहती हैं, ‘मैंने पहली बार अमित जी को इंस्टीट्यूट में देखा और पसंद करने लगी। मेरे दोस्तों ने कहा कि अमित तो एक स्टिक (छड़ी) की तरह लगते हैं। वो काफी दुबले-पतले थे, मगर उनकी आंखें काफी बड़ी-बड़ी थीं। मुझे याद है कि अमित को छड़ी कहने पर मैं अपनी सहेलियों से काफी लड़ी थी और कहा था कि वो सबसे अलग हैं.. काफी अलग।’
जया ने मुस्कराते हुए आगे कहा कि ‘शायद ये पहली नजर का प्यार था। उसके बाद की मुलाकात, कई और मुलाकातों में बदल गई।’ फिल्म ‘चुपके-चुपके’, ‘गुड्डी’, ‘बावर्ची’, ‘सिलसिला’, ‘अभिमान’, ‘मिली’, ‘कभी खुशी कभी गम’ में दमदार अभिनय से दोनों ने अपने सिक्के जमा लिए। जया भादुड़ी ने अमिताभ के साथ आठ फिल्में कीं और सभी हिट रहीं। अमिताभ-जया बच्चन जिंदगी की राह में 37 वर्षों से हमसफर हैं।
सत्तर के दशक में दर्शकों ने जया की सादगी को खूब सराहा और उनके ग्लैमरस अवतार को नकार दिया। जया ने ‘जवानी दीवानी’, ‘अनामिका’, ‘कोरा कागज’, ‘कोशिश’, ‘पिया का घर’, ‘बावर्ची’, ‘गाय और गौरी’, ‘मन का आंगन’, ‘नौकर’, ‘नया दिन-नई रात’, ‘परिचय’, ‘फागुन’, ‘समाधि’, ‘शोर’ जैसी सात्विक मानी जाने वाली फिल्मों में भी काम किया है।
जया बच्चन ने अपना पत्नी धर्म भी बखूबी निभाया। शादी के बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया। उन्होंने बेटी श्वेता और बेटे अभिषेक को जन्म दिया और दोनों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। अमिताभ-जया बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं समझते। जया ने बच्चों के साथ पति के करियर को भी अच्छी तरह संभाला।
जया बच्चन को उनके बेमिसाल अभिनय के लिए तीन बार ‘फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस’ का अवार्ड और तीन बार ‘बेस्ट सपोर्टिग एक्ट्रेस’ का पुरस्कार मिला है। वर्ष 2007 में जया बच्चन को ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से भी नवाजा गया था। उन्हें वर्ष 1992 में भारत सरकार से पद्मश्री भी मिल चुका है। बच्चन परिवार आज दुनिया का सबसे ज्यादा ग्लैमरस, प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित परिवार है। एक ही परिवार में चार मशहूर सेलिब्रिटी होने की वजह से बच्चन परिवार अपने आप में एक ब्रांड बन चुका है। सुपरस्टारों से भरे इस परिवार में जया का अपना एक अलग ही स्थान है।
जया का राजनीतिक करियर भी उपलब्धियों से भरा है। इस समय वह देश की संसद के उच्च सदन में समाजवादी पार्टी (सपा) की तरफ से प्रतिनिधित्व कर रही हैं।