बेसहारों का सहारा बना चाय वाला
भारत ऐसा देश है जहां आम आदमी लेकर देश के प्रधानमंत्री तक चाय पर चर्चा करते रहते हैं। चाय की दुकान पर अकसर हम देश और दुनिया के बारे में सुनते हैं। इसी बीच चाय की दुकानों पर हम लोग देश में फैले भष्टाचार से लेकर कई गंभीर समस्याओं का जिक्र करते हैं, लेकिन जब किसी बेसहारों का सहारा बनना हो तो हम एक दूसरे की तरफ देखने लगते हैं।
हम सब सपने देखते है, वो भी अपने लिए। लेकिन एक ऐसा चाय वाला है जिसे खुद सहारे की जरूरत है पर वो गरीब बेसहारों का सहारा बने हुए हैं। ओडिशा के 58 वर्षीय डी. प्रकाश राव रोज सवेरे चार बजे उठते हैं। नित्य कार्य करने के बाद घर से चाय पी कर, वो अपनी चाय की दुकान में जाते हैं। कटक के बक्सीबाजार में उनकी एक छोटी सी चाय की दुकान है। यह दुकान इनके लिए ही नहीं, बल्कि आस-पास झुग्गी झोपड़ी में रह रहे लोगों के लिए दुनिया है, उनके सपने हैं।
प्रकाश को इस उम्र में सहारे की जरूरत है, लेकिन सेवा भावना ऐसी कि इस उम्र में भी अपनी आमदनी का 50 प्रतिशत झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई के ऊपर खर्च करते हैं। प्रकाश इन गरीब बच्चों की जिंदगी संवारने में लगे हैं। हर कोई समाज और देश बदलने की बात करता है, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि लोग समस्याओं की तह तक नहीं जाना चाहते। वहीं प्रकाश जैसे कुछ लोग भी हैं, जो बगैर ढिंढ़ोरा पीटे लोगों की मदद करते हैं।
दुकान के पैसे से चलाते हैं स्कूल
डी. प्रकाश कहते हैं कि ‘झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे आर्थिक तंगी के कारण पढ़ नहीं पाते हैं। जबकि, पढ़ाई बहुत ही जरूरी है। ऐसे में हमने झुग्गी में स्कूल की व्यवस्था की है। दुकान से होने वाली आमदनी का सारा पैसा स्कूल के शिक्षक को दे देते हैं। गरीब तबके के बच्चों के शिक्षक को प्रकाश अपनी जेब से पैसे देते हैं। गरीब बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए प्रकाश दूध भी देते हैं। उनका मानना है कि बच्चे दूध पीकर ही सेहतमंद हो सकेंगे, और उनका ध्यान पढ़ाई में लगा रहेगा।