…इस महिला ने अस्पताल के बिस्तर पर ही गुजार दी सारी जिंदगी
कुछ डॉक्टर अपने दिन की शुरुआत ही उस शपथ की अवहेलना से करते हैं, जो कभी डॉक्टर बनने पर उन्होंने ली थी। कई डॉक्टर मरीजों के जिंदगी की तुलना में पैसों को ज्यादा तरजीह देते हैं। इसका ताजा उदाहरण झारखंड की राजधानी रांची के सीआईसी अस्पताल में देखने को मिला।
देश जब गुलाम था तभी से इलाज के लिए रांची के मनोचिकित्सा केंद्र सीआईपी में भर्ती जुमला दाम (बदला हुआ नाम) ने अपने जीवन के सात दशक अस्पताल के एक ही बिस्तर पर गुजार दी। क्योंकि इनका इस दुनिया में अब कोई नहीं है या फिर कहें तो उनके अपनों ने ही उन्हें अपने रहमो करम पर छोड़ दिया है।
अफसोस की बात यह है कि 10 साल की आयु में भर्ती जुमला अब 80 साल की हो गई हैं, लेकिन अब जुमला का सुध लेने वाला कोई नहीं है। परिवार तो दूर की बात है स्वास्थ्य पर लाखों खर्च करने का दावा करने वाली सरकार भी जुमला का इलाज करवाने से कतराती नजर आ रही हैं। यही वजह है कि जुमला को अपने जीवन के 70 साल अस्पताल में ही गुजारने पड़े।
ऐसा नहीं है कि जुमला की बीमारी लाइलाज है, 80 साल की जुमला चलने फिरने में असमर्थ है, अगर अस्पताल प्रशासन और सरकार ने थोड़ी सी कोशिश की होती तो जुमला आज स्वस्थ हो गई होतीं। जुमला का दुनिया में अब कोई नहीं है और कोई है भी तो उन्हें उनकी फिक्र नहीं है।
मंगलवार को जुमला को इलाज के लिए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स लाया गया। रिम्स में जब लोगों ने जुमला की कहानी सुनी तो सब हैरान रह गए, लेकिन उनकी मदद के लिए किसी ने भी आगे आने की पेशकश नहीं की। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जुमला जैसी अन्य बेसहारा बुजुर्गों की सुध लेगा कौन?