Writer’s Building: जिसने दिलाई दीदी को सत्ता

0

राजनितिक गलियारों से लेकर प्रशासनिक भवन तक कोलकाता की Writer’s Building ने पश्चिम बंगाल की हर एक अहम् ज़िम्मेदारी को संभाला है. ब्रिटिश राज के दौरान निर्मित इस बिल्डिंग में स्वतंत्र भारत की भी गूँज उठी थी.

1777 में निर्मित, राइटर्स बिल्डिंग का उद्देश्य ईस्ट इंडिया कंपनी के लेखकों को समायोजित करना था। और इसी के लिए 1780 में इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को लीज पे दे दिया गया था.  अगले कुछ दशकों में कई संरचनात्मक बदलावों के बाद, फोर्ट विलियम कॉलेज ने वहां शिविर लगाया, जिसमें 1830 के आसपास हिंदी और फ़ारसी जैसी भाषाओं के लेखक थे। सफल होने वाले वर्षों में, निजी व्यक्तियों और अधिकारियों द्वारा आवास का उपयोग किया गया था.

क्या है एतिहासिक महत्त्व?

ब्रिटिश राज के दौरान ये इतिहास का टुकड़ा तो रहा ही है, लेकिन उसके बावजूद रायटर्स का अपना स्वदेशी इतिहास भी रहा है.

Classic Architecture में संयोजित इस बिल्डिंग का इतिहास भी बहुत ही इंटरेस्टिंग है. शायद आपको मालूम नहीं होगा कि रायटर्स जहाँ स्थित है उसका नाम BBD मार्ग है. इसे नाम के पीछे की कहानी चलिए हम आपको बताते है.

BBD का फुल फॉर्म- बिनय, बादल, दिनेश है. इनके बारे में कहाँ जाता है कि इन्होने ब्रिटिश राज के लिए नियुक्त कर्नल सिम्संस का मर्डर इसी बिल्डिंग में किया था. आज़ादी की पुकार ने इन तीनो को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था. और इसी लिए उन तीन देश भक्तों को समर्पित है ये मार्ग.

सत्ता के गलियारे में प्रमुख रहा रायटर्स

रायटर्स बिल्डिंग का महत्व पश्चिम बंगाल में हमेशा से रहा है. ब्रिटिश राज के बाद इसे सचिवालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था. इस बिल्डिंग में कुल 13 ब्लाक है.

करीब 12 एकड़ में स्थापित रायटर्स का राजनितिक महत्व भी आकर्षक है. रायटर्स की कुर्सी यानि मुख्यमंत्री का पद. चूँकि कई साल तक ये मुख्यमंत्री का ऑफिस भी रहा है, तो लाज़मी है कि हर एक आदमी को रायटर्स में ही अपनी कुर्सी जमानी थी.

रायटर्स को बनानी थी दीदी की इज्ज़त

रायटर्स का वही गलियारा था जिसमे दीदी को उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बहुत ही बेकद्री से बहार निकल दिया था. ज्योति बासु उस समय मुख्यमंत्री थे और बंगाल में लेफ्ट का डंका बजता था. दीदी ने अवमान के वो घूँट पीकर उसी समय ये निश्चय कर लिया था कि उन्हें रायटर्स को ही अपना मुख्यालय बनाना होगा.

उन्ही कुछ सालों में ऐसा लगा की समय की सुई भी दीदी के हिसाब से चलने लगी थी. 2011 ममता बनर्जी सत्ता में ताबीज़ हुई और उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया.

2013 में दीदी ने सचिवालय नाबन्ना में शिफ्ट किया और रायटर्स को में बड़े स्केल पर रेनोवेशन करवाना शुरू किया.

अब देखना ये होगा की आने वाले समय रायटर्स किसके हाथ में जाएगा, यानि सत्ता किसकी होगी जो रायटर्स की कुर्सी पर ताबीज होगा.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More