वाराणसी का कश्मीरीगंज मुहल्ला लकड़ी के खिलौने की शिल्पकारी के लिए पहचान का मोहताज नहीं है. इसी मोहल्ले के विख्यात शिल्पाकार पद्मश्री गोदावरी सिंह का निधन हो गया. इसकी खबर लगते ही हमेशा खट खट की सुनाई देने वाले मोहल्लेे में सन्नाटा पसर गया. सूचना पाकर सभी दु:खी दिखाई दे रहे थे.
जानकारी के अनुसार पिछले कई दिनों से वह बीमार चल रहे थे और कश्मीरीगंज स्थित आवास पर ही इन्होंने अंतिम सांस ली. बताते चलें कि लकड़ी के खिलौने को इन गलियों से उठाकर देश और विदेश के कोने कोने तक इन्होने पहुंचाया पूरी काशी इनके निधन से गमगीन है. इन्हेंं लकडी के खिलौने का भीष्मइ पितामह भी कहा जाता रहा.
काष्ठकला को किया संरक्षित और प्रसारित
केंद्र सरकार के पद्म पुरस्कारों की सूची में वाराणसी की कला को देश-दुनिया तक पहुंचाने का काम करने वाले गोदावरी सिंह का भी नाम शामिल था. उनको वाराणसी की काष्ठ कला को संरक्षित और प्रसारित करने के लिए यह पुरस्कार देने के लिए चुना गया था. उन्होंने लकड़ी के खिलौनों के माध्यम से इस कला को जीवित रखा. इन खिलौनों को जीआई टैग भी मिला है.
गोदावरी सिंह का लकड़ी के खिलौनों के क्षेत्र में काफी नाम है. वाराणसी के खोजवा में इनका कारखाना चलता है. इनके खिलौनों की चर्चा न सिर्फ वाराणसी में बल्कि देशभर में होती है. गोदावरी सिंह इस कला में स्टेट अवार्डी भी हैं. इतना ही नहीं ओडीओपी को लेकर भी इनकी सराहना हो चुकी है.
पीएम ने की थी सराहना
वाराणसी से सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुद उनके कार्यों की सराहना कर चुके हैं. गोदावरी काष्ठ कला के क्षेत्र में अलग-अलग प्रयोग करने के लिए भी जाने जाते रहे. इन्होंने लकड़ी के अलग-अलग डिजाइन के कई तरह के खिलौने तैयार किए. इनका लकड़ी का बनाया बैग भी काफी चर्चा में रहा है.
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गोदावरी सिंह वाराणसी में लगभग 68 साल पहले वाराणसी में आए थे. यहां के कश्मीरीगंज मोहल्ले में उन्होंने अपना ठिकाना खोजा. उनके दादा और पिता भी काष्ठ कला के कारोबार में ही जुटे थे. उनके साथ रहकर ही गोदावरी सिंह ने काष्ठ कला की बारीकियां सीखीं. कुछ साल बीतते-बीतते इस लकड़ी के खिलौनों और अन्य तरह की काष्ठ कला की डिमांड कम होती गई.
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इधर नरेंद्र मोदी के काशी से सांसद बनने और देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद से इस कारोबार के अच्छे दिन लौट आए. पीएम मोदी ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए हैंडीक्राफ्ट, लकड़ी के खिलौनों आदि में लगे लोगों को सरकार की योजनाओं के माध्यम से मदद मुहैया कराना शुरू किया.