क्या कभी उड़ान नहीं भर पाएगी जेट एयरवेज?

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वर्ष 2019 से जेट एयरवेज ने कोई भी उड़ान नहीं भरी है. दिवालिया हुए इस कंपनी के नए मालिक जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) के रूप में मिले और इसके साथ पिछले साल फिर से इसके हवा में उड़ान भरने को कौतूहल जगा. लेकिन देख के लग रहा है कि जेट एयरवेज को फिर से हवा में देखने का ये सपना जल्द ही टूट जाएगा.

दरअसल जेट एयरवेज को एविएशन रेग्युलेटर डीजीसीए से कमर्शियल फ्लाइट्स शुरू करने के लिए एयर ऑपरेटर परमिट मिल चुका है. इसकी मियाद 19 मई को खत्म होने जा रही है, यानी कंपनी को इस दिन तक अपनी फ्लाइट सर्विस शुरू करनी थी, जिसके आसार फिलहाल नहीं दिख रहे हैं.

क्या बढ़ेगी परमिट की डेट ?

इस बारे में सूत्रों ने जानकारी दी है कि जेकेसी ने अभी अपने एओपी को रीन्यू करने के लिए कोई आवदेन नहीं किया है. आम तौर पर एओपी लाइसेंस की एक्सपायरी से करीब 1 महीना पहले ही कंपनियों को इसके एक्सटेंशन के लिए आवेदन करना होता है. हालांकि इस बारे में जेकेसी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.

क्या होता है एओपी?

जब कोई एयरलाइन पूरी तरह से तैयार होती है, तो वह डीजीसीए के पास एओपी के लिए आवेदन करती है. डीजीसीए के अधिकारी कंपनी के केबिन क्रू के साथ फ्लाइट ऑपरेशन को देखते हैं. इसके बाद ही एओपी जारी कियाय जाता है. ये किसी एयरलाइंस के लिए अपनी फ्लाइट सर्विस शुरू करने के लिए एक तरह से आखिरी मंजूरी होती है.

आम तौर पर एयरलाइंस कंपनियां एयर ऑपरेटर परमिट (AOP) मिलने के एक से दो महीने के अंदर ही फ्लाइट्स का कमर्शियल ऑपरेशन शुरू कर देती हैं. इससे पहले उन्हें टाइम स्लॉट लेने, ग्राउंड हैंडलिंग की व्यवस्था करने, हवाई जहाजों की पार्किंग, मेंटिनेंस एवं ओवरहॉलिंग इत्यादि की व्यवस्था करनी होती है. इसके बाद कंपनी फ्लाइट टिकट की बुकिंग शुरू करती है.

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