क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड टर्टल डे, जानें इसका इतिहास व महत्व

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वाराणसी: दुनिया में कछुओं की घटती संख्या को देखते हुए लोगों में इनके हिफाजत के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल विश्व कछुआ दिवस मनाया जाने लगा। 23 मई को पूरा विश्व मिलकर इस दिवस को मनाता है। कछुआ एक ऐसा जानवर है, जिसे लोग शुभ मानते हैं और उनकी कई प्रजातियों को घरों में भी रखा जाता है। कछुओं को बाजारों में महंगे- महंगे भावों में बेका जाता है।

इतिहास…

साल 2000 से विश्व कछुआ दिवस का आयोजन होने लगा। कछुओं की प्रजातियों को बचाने के लिए अमेरिका के एक गैरलाभकारी संगठन अमेरिकन टॉर्टवायज रेस्क्यु की स्थापना की गई। इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर के कछुओं का संरक्षण है। साल 2000 के बाद देश के लोग कछुओं की रक्षा के प्रति जागरूक हो गए।

क्या है इसका महत्व…

कछुए दुनिया में रैप्टाइल ग्रुप के सबसे पुराने जानवरों में से एक हैं। यह सांपों, और मगरमच्छों की तुलना में भी बहुत पुराने हैं। ये जीव डायनासोर से पहले के हैं, जो 250 मिलियन वर्ष पहले विकसित हुए थे। दुनिया में 300 प्रकार के कछुए हैं, जिनमें से 129 लुप्तप्राय हैं। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व कछुआ दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को याद दिलाया जाता है कि कछुओं को उनके प्राकृतिक आवास में रहने और बढ़ने में मदद करना कितना महत्वपूर्ण है।

कई वर्षों तक जीतें है कछुवें

कछुआ धरती पर सबसे ज्यादा जीवित रहने वाले जीवों में से एक है। रेंगनेवाले यानी रैप्टाइल्स ग्रुप से ताल्लुक रखने वाले कछुए की उम्र धरती पर 150 साल से भी ज्यादा मानी जाती है। दुनिया में सबसे ज्यादा साल तक जीवित रहने वाले कछुए का नाम हनाको कछुआ था, जो लगभग 226 साल तक जीवित रहा। एक लंबा जीवन जीने के बाद 17 जुलाई, 1977 में इसकी मौत हो गई थी।

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