सर्दी में क्यों होती है बारिश? आसमान से बरसने वाले ‘ओलों’ का मौसम पर क्या पड़ता है असर

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दिल्ली समेत उत्तर भारत में लगातार मौसम का मिजाज ठंडा हो रहा है जिसका मुख्या कारण वहां हो रही लगतार बारिश है बीते रविवार को उत्तर भारत में अच्छी- खासी बारिश हुई। वह के लिए ठण्ड में बारिश होना आम बात हो गयी है। और अनुमान लगाया जा रहा है कि मौसम के तेवर जारी रहेंगे और बारिश फिर हो सकती है तो आइए जानते हैं कि ठण्ड के मौसम में बारिश होने से क्या असर होता है।

ठण्ड के मौसम में बारिश होना वैसे तो आम बात है लेकिन बारिश का बार- बार होना कोई आम बात नहीं। मौसम विज्ञान के मुताबिक ऐसा पश्चिमी विक्षोभ के कारण होता है. ये भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाकों में सर्दियों के मौसम में आने वाला वो तूफान है, जो महासागरों से नमी इकट्ठा करता है और उसे लाकर भारत के उत्तरी हिस्सों, पाकिस्तान और नेपाल में बारिश या ओलों के रूप में गिराता है।

महासागरों की नमी का असर कुछ इलाको में ही क्यों होता है…

असल में होता ये है कि कम दबाव का साइक्लोनिक सिस्टम पश्चिमी हवाओं के जरिये भारत पहुंचता है. इन हवाओं को हिमालय रोक लेता है। और ये हिमालय के ऊपर बारिश या बर्फबारी के रूप में बरस पड़ती हैं. कृषि में इस तूफान का काफी महत्व है. खासकर उत्तर भारत में रबी की फसल, जैसे गेहूं के लिए ये तूफान जरूरी है। हालांकि ज्यादा बारिश या बर्फबारी से दलहन-तिहलन जैसी फसलें खराब हो जाती हैं।

बढ़ती ठण्ड का कारण “नीना” ठहराया जिम्मेदार…

पश्चिमी विक्षोभ से आई ये नमी लगातार बारिश या बर्फ के रूप में दिख रही है. यहां तक कि पहाड़ों पर मौसम का आनंद लेने पहुंचे सैलानी बर्फबारी में फंसे हुए हैं. साथ ही साथ मौसम विभाग लगातार ठंड बढ़ने की चेतावनी दे रहा है। वैसे भी इस साल आम सर्दियों से ज्यादा ठंड की चेतावनी पहले ही दी जा चुकी है। अनुमान के मुताबिक इस साल ज्यादा ठंड पड़ेगी, जो मार्च तक खिंच सकती है. इसके लिए ला नीना को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

-ला नीना स्पैनिश भाषा एक शब्द है, जिसका अर्थ है छोटी बच्ची. पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और वो भी औसत से ठंडा हो जाता है। ला नीना की उत्पत्ति के अलग-अलग कारण माने जाते हैं लेकिन सबसे प्रचलित वजह ये है कि ये तब पैदा होता है, जब ट्रेड विंड (पूर्व से बहने वाली हवा) काफी तेज गति से बहती हैं।

पश्चिमी विक्षोभ का असर उतर भारत में क्यों दीखता है…

अब अगर ये देखना चाहें कि पश्चिमी विक्षोभ का असर उत्तर भारत में ही क्यों दिखता है, तो इसकी सीधी वजह है इसकी भौगोलिक स्थिति. हिमालय से टकराकर रुकी नमी जब बर्फ या पानी के रूप में गिरती है तो उत्तरी हिस्सा इसकी चपेट में आता है। विक्षोभों को देखते हुए वैज्ञानिक बार-बार चेता रहे हैं कि इस साल ठंड कड़ाके की होने वाली है।

इस बीच ये भी समझ लेते हैं कि आखिर कितनी ठंड को कड़ाके की ठंड कहते हैं। एक मीडिया एजेन्सी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मौसम विज्ञानी इसे सामान्य तापमान से तुलना करते हुए समझते हैं. अगर तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाए, तो इसे ठंड मानते हैं। वहीं अगर ये तापमान 6 से 7 डिग्री गिर जाए तो ये कड़ाके की ठंड की श्रेणी में आता है।

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