वो 5 मुस्लिम शासक जिनके राज में गाय को ‘पूजा’ जाता था, इलाहाबाद HC ने भी किया जिक्र

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गाय देश की संस्कृति का अहम हिस्सा है इसलिए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना चाहिए। यह बातें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।

न्यायाधीश शेखर कुमार यादव ने आरोपी जावेद की जमानत अर्जी खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गाय को मौलिक अधिकार देने के लिए केंद्र सरकार को संसद में विधेयक लाना चाहिए।

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने पांच अहम टिप्पणी की हैं-

1. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गाय देश की संस्कृति का अभिन्न अंग है। गोरक्षा का काम सिर्फ एक धर्म या संप्रदाय का नहीं बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।

2. कोर्ट ने कहा है कि गाय को नुकसान पहुंचाने वाले या हत्या करने वाले को दंड देना आवश्यक है। इससे एक एक वर्ग विशेष की ही नहीं बल्कि पूरे देश की भावनाएं आहत होती हैं।

3. गाय का हमारे देश में काफी महत्व है। इसलिए जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का भी कल्याण होगा।

4. हाई कोर्ट ने कहा कि पांच मुस्लिम शासकों ने भी गायों के वध पर प्रतिबंध लगाया था।

5. केंद्र सरकार को संसद में विधेयक लाकर इसके लिए कानून बनाना चाहिए और उसका सख्ती से पालन कराना चाहिए।

किन-किन मुस्लिम शासकों ने लगाया था गोकशी पर प्रतिबंध-

बाबर ने दिया था हुक्‍म- मुगल बादशाह बाबर ने अपने शासन काल में बाबर ने गाय की कुर्बानी पर रोक लगाने का हुक्‍म दिया था। 1921 में ख्‍वाजा हसन निजामी देहलवी की किताब ‘तर्क-ए-कुरबानी-ए-गाऊ’ में इसका जिक्र है।

राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (RSS) ने भी कुछ साल पहले एक पुस्तिका में कहा था कि बाबर ने न केवल अपने शासन में गोकशी पर रोक लगाकर रखी थी, बल्कि अपने बेटों से भी ऐसा ही करने के लिए कहा था।

पिता की राह पर चला था हुमायूं- बादशाह हुमायूं ने भी अपने पिता बाबर की तरह ही गोकशी पर प्रतिबंध लगाया था।

अकबर ने तो सजा-ए-मौत का हुक्‍म दिया- पिता और दादा से आगे निकलते हुए अकबर के शासन काल में तो गोकशी पर मौत की सजा तय कर दी गई थी। इसका भी उल्‍लेख कई जगह मिलता है।

जहांगीर ने भी बनाए रखा नियम- अकबर के बाद मुगल बादशाह जहांगीर के शासन में भी गोकशी पर प्रतिबंध बना रहा।

नवाब हैदर अली ने बनाया अपराध- मैसूर के नवाब हैदर अली ने गोकशी को दंडनीय अपराध घोषित किया था। बताया जाता है कि हैदर अली ने भी यह कदम इसीलिए उठाया था ताकि हिंदुओं की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे।

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