…जब भरे मंच पर योगी ने तरेरी आंख तो बेआबरु होकर नीचे उतर गए विजय मिश्रा

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वाराणसी। साल 2017 में विधान सभा चुनाव के बाद विजय मिश्रा पूरे फॉर्म में थे। इस बार उन्होंने अपने बलबूते विरोधियों को धूल चढ़ाई थी। कहने को तो निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन ये हर कोई जानता है कि भदोही में इस नई नवेली पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं था। खैर इलाके में हैसियत बढ़ी तो विजय मिश्रा की हसरतें भी बढ़ने लगी। अखिलेश से अनबन और मायावती से दुश्मनी के बाद विजय मिश्रा बीजेपी के साथ गुणा-गणित भिड़ाने में जुट गए। कहते हैं कि बीजेपी के दो बड़े नेता विजय मिश्रा के लिए दिल्ली में ‘बैटिंग’ कर रहे थे।

योगी ने लौटा दिया था गमछा

इसी बीच सरकार बनने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ पहली बार भदोही के दौरे पर आए। जन प्रतिनिधि होने के नाते जिला प्रशासन की ओर से ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्रा को भी बुलाया गया। कार्यक्रम को लेकर विजय मिश्रा बेहद उत्साहित थे। पहली बार सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ मंच साझा करने का मौका खोना नहीं चाहते थे। उन्होंने इस लम्हे को यादगार बनाने की कोशिश की। बताया जाता है कि मंच पर योगी का स्वागत करने पहुंचे विजय मिश्रा ने उन्हें गेरुआ गमछा पहनाने की कोशिश की। लेकिन योगी आदित्यनाथ को बाहुबली की ये नजदीकियां अच्छी नहीं लगी। उन्होंने विजय मिश्रा का गमछा वापस कर दिया।

 

बालू के पट्टे को लेकर सौदा करना चाहते थे विजय मिश्रा

हालांकि इस घटना के बाद भी विजय मिश्रा ने बीजेपी में शामिल होने की उम्मीद नहीं छोड़ी थी। कहा तो यहां तक जाता है कि उन्होंने अपने बेटे विष्णु प्रसाद मिश्रा को संघ की सदस्यता भी दिलवा दी थी। लेकिन उनकी ये कोशिश परवान नहीं चढ़ पाई। विजय मिश्रा ने अपना बीजेपी प्रेम दिखाते हुए राज्यसभा चुनाव में पार्टी के लिए वोट किया। बावजूद इसके योगी आदित्यनाथ ने उन्हें घास नहीं डाला। हर जतन करने के बाद भी विजय मिश्रा बीजेपी में शामिल नहीं हो पाए। बताया जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद विजय मिश्रा प्रदेश सरकार के निशाने पर आ गए। बताया जा रहा है कि बालू के पट्टे को लेकर विजय मिश्रा प्रदेश सरकार से सौदा करना चाहते थे लेकिन बीजेपी के कुछ नेताओं ने उनकी राह में रोढ़े अटका दिए। बालू के पट्टे पर विजय मिश्रा का एकाधिकारी था। लेकिन योगीराज में उनकी दाल नहीं गल पा रही थी। यही नहीं स्थानीय सांसद रमेश बिंद के अलावा रविंद्र त्रिपाठी और दीनानाथ भाष्कर सरीखे बीजेपी के जनप्रतिनिधि विजय मिश्रा का लगातार विरोध कर रहे थे।

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