Saif Ali Khan Property: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर चाकूबाज द्वारा हमले के बाद से वह सोशल मीडिया की चर्चाओं में बने रहे लेकिन इससे भी बड़ा एक मामला सामने आया है. इसके चलते पटौदी खानदान के सैफ अली खान का नाम अब मध्य प्रदेश के दुश्मन संपति मामले से भी जुड़ने लगा है. ये मामला कोई छोटा-मोटा नहीं, बल्कि एक्टर की अरबों की संपत्ति से जुड़ा हुआ है, जिसे लेकर पटौदी परिवार अब काफी टेंशन में आ गया है. इसका कारण है कि भारत सरकार ने अभिनेता की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है.
जानिए क्या है सैफ की संपत्ति का मामला
दरअसल, भोपाल में स्थित सैफ की संपत्ति का विवाद 1960 के दशक में शुरू हुआ था, जो उनके परनाना और भोपाल के अंतिम नवाब हामिदुल्लाह खान से जुड़ा है. परनाना हामिदुल्लाह खान का निधन होने के बाद उनकी बेटी आबिदा सुल्तान को संपत्ति पर हकदार माना गया था लेकिन, इसी बीच वह पाकिस्तान में जाकर रहने लगी थीं. इसके बाद भारत सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए एक अध्यादेश जारी कर दिया . इस अध्यादेश के चलते भोपाल की नवाबी संपत्ति की उत्तराधिकारी उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान बन बैठी थी. साजिदा की शादी नवाब इफ्तिखार अली खान से हुई थी जिनके बेटे, मंसूर अली खान ‘टाइगर’ पटौदी जूनियर, सैफ अली खान के पिता थे. इसके चलते अभिनेता सैफ को अपने परनाना हामिदुल्लाह खान की संपत्ति उन्हें वसीयत में मिली थी.
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इसी संपत्ति को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति करार कर दिया है. शत्रु संपत्ति एक्ट 1968 के तहत शत्रु संपत्ति उसे कहा जाता है जो ऐसे देश के नागरिक हो जिन्होंने भारत का शत्रु होने के साथ-साथ उसके खिलाफ जंग छेड़ रखी हो. इसके अलावा वे संपत्तियां जो किसी व्यक्ति या फिर संस्था के युद्ध के दौरान शत्रु देश में जाने के बाद भारत में ही रह गईं हो. इतना ही नहीं, इस शत्रु संपत्ति का नियंत्रण भारत के ‘कस्टोडियन ऑफ एनीमी प्रॉपर्टी’ (CEPI) के पास होता है, जो गृह मंत्रालय के अधीन रहकर काम करता है.
जानिए कैसे बेचा जाता है शत्रु संपत्तियों को
वहीं तीन साल की जांच के बाद 2015 में केंद्र सरकार ने सैफ की संपत्तियों का नियंत्रण अपने कब्जें में कर लिया, जिसे कोर्ट में एक बार फिर चुनौती दी गई. इसी मामले पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी. बता दें, देशभर में 12 हजार से अधिक संपत्तियां शत्रु संपत्ति के रूप में गृह मंत्रालय द्वारा रजिस्टर्ड है, जिसका अनुमानित मूल्य एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है. गृह मंत्रालय के अधीन इन संपत्तियों की नीलामी या बिक्री सेक्शन 8A के जरिए की जाती है.