वाराणसी: छठ पर्व को लेकर घाटों में तैयारियां तेज…

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वाराणसी: भारत में महापर्व छठ की तैयारियां ज़ोरों पर हैं: यह त्योहार बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाक़ों में मनाया जाता है. इसके अलावा बिहार से सटे नेपाल के कुछ इलाक़ों में भी छठ का त्योहार मनाते हैं. हालांकि इन इलाक़ों के लोग जहां भी बसे हैं, वहां छठ का त्योहार भी पहुंच गया है. लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारियां काशी में तेजी से चल रही है. गंगा घाटों के साथ ही वाराणसी के सूर्य सरोवर में साफ-सफाई कर वेदी बनाई जा रही है.

गंगा घाट में महापर्व कि तैयारियां…

छठ पर बनारस रेल इंजन कारखाना और घाटों पर सांस्कृतिक समारोह आयोजित होगे. इसके अलावा बीएलडब्ल्यू प्रशासन की मदद से अलग से शिविर भी लगाया जाता है ताकि किसी को किसी भी प्रकार की समस्या होने पर फर्स्टएड उपलब्ध रहे. बनारस रेल इंजन कारखाना के द्वारा घाट की पूर्ण रूप से साफ सफाई पेंटिंग सजावट का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है.सूर्य सरोवर घाट पर लोग बेदिया बनाने पहुंच रहे हैं. बेदिया बनाने का भी अपना अलग महत्व है. इस पर्व को मनाने के पहले दिन नहाय खाय से इस पर्व की शुरुआत हो जाएगी. दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सांध्य अर्घ्‍य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्‍य दिया जाता है.

संतान रक्षा के लिए व्रत छठ…

छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपनी संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का वर मांगाने के लिए करती हैं. मान्यता अनुसार इस दिन निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं छठ मैया. छठ के दौरान महिलाएं लगभग 36 घंटे का व्रत रखती हैं.

श्रद्धालुओं की मान्यता है कि छठ के दिन सूर्य की उपासना से छठी माई प्रसन्न होती हैं.

छठ का पहला दिन ‘नहाय खाय’ के रूप में मनाया जाता है जिसमें घर की सफ़ाई, फिर स्नान और शाकाहारी भोजन से व्रत की शुरुआत की जाती है.

दूसरे दिन व्रतधारी दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं. इसे खरना कहा जाता है.

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तीसरे दिन छठ का प्रसाद बनाया जाता है. प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू और चढ़ावे के रूप में फल आदि भी शामिल होते हैं. शाम को बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और तालाब या नदी किनारे सामूहिक रूप से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. व्रतधारी दोबारा वहीं जाते हैं जहां शाम को अर्घ्य दिया था.दोबारा पिछली शाम की तरह ही सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.

छठ व्रत एक कठिन तपस्या की तरह माना जाता है. छठ व्रत मूल रूप से महिलाएं ही करती हैं. हालांकि कुछ पुरुष भी इस व्रत को रखते हैं.

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