अपना ही रिकार्ड तोड़ते हुए मात्र पांच माह में अप्रैल से अगस्त 2024 तक 12 राज्यों के 80 जीआई आवेदन जमा कराने का रिकार्ड पद्मश्री से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ डा. रजनीकांत ने बनाया. इसे लघु उद्योग दिवस शुक्रवार को देखा जा सकता है. शुक्रवार को जीआई रजिस्ट्री चेन्नई के वेबसाइट पर अरूणांचल प्रदेश के पांच जीआई आवेदनों को पोस्ट किया गया. वेबसाइट के अनुसार ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के तकनीकी सहयोग से इस वित्तीय वर्ष अप्रैल से अगस्त तक यह संख्या 80 तक पहुंची गई.
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एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इसमें 12 राज्य यूपी से 7, राजस्थान से 10, छत्तीसगढ़ से 3, गुजरात-3, त्रिपुरा-9, असम-4, झारखंड-6, बिहार-3 और अरूणांचल प्रदेश के 6 प्रोडक्ट के जीआई आवेदन जीआई रजिस्ट्री चेन्नई को भेजे गए. इसे स्वीकार कर लिया गया. इसमें प्रमुख उत्पाद जैसे बनारस क्ले क्राफ्ट, लखनऊ क्ले क्राफ्ट, मेरठ बिगुल, राजस्थान का रावणहत्था, जोधपुर वुड क्राफ्ट, जयपुर मार्बल क्राफ्ट, बस्तर स्टोन क्राफ्ट, छत्तीसगढ़ पनिका साड़ी, झारखंड डोकरा, पंछी परहन साड़ी, जादू पटियां पेंटिंग, त्रिपुरा केन क्राफ्ट, त्रिपुरा पेंटिंग, त्रिपुरा बिन्नी राईस, हरिनारायन राईस, कालीखासा धान, गुजरात पाटन मशरू साड़ी, सौराष्ट्रा बीड्स वर्क, लद्दाख थांका पेंटिंग, लद्दाख चिली मेटल क्राफ्ट, लेह लिकिर पाटरी, लेह चाल टेक्सटाईल्स, कश्मीर अम्बरी सेव और महराजी सेव, अखरोट, कश्मीरी नदरू, कश्मीरी हाक, किश्तवार चिलगोजा, गुरेज राजमाश, किश्तवारी ब्लैंकेट, सांभा कैलिको पिं्रट, हरियाणा बहादुरगढ़ बुडेन क्राफ्ट, हिसार मंगाली वुडेन बीड्स, उदयपुर ठीकरी और डंका क्राफ्ट, दरभंगा टेराकोटा, पटना कलम पेंटिंग, तवांग याक चुरकम, याक टोपी, याक ब्लैंकेट, कमन दिगारों मिश्मी टेक्सटाइल, ब्रांचों बीड्स क्राफ्ट हैं. इसके साथ ही असम के करबी एंगलांग हैंडलूम, देवरी हैंडलूम, आसाम बम्बू क्राफ्ट समेत 80 परम्परागत उत्पाद जीआई पंजीकरण की प्रक्रिया में शामिल हुए हैं.
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अमृत महोत्सव वर्ष में किये गये थे 75 जीआई आवेदन
आपको बता दें कि इससे पहले आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के तकनीकी सहयोग से एक वर्ष में 75 जीआई आवेदन किये गये थे. इस बार 80 आवेदन कर नया रिकार्ड कायम किया गया है. आपको यह भी बता दें कि वाराणसी और आसपास के जिलों में अभी भी 34 जीआई टैंग के साथ पूरे विश्व के एक भू-भाग सर्वाधिक जीआई टैग का गौरव प्राप्त है. इससे करीब 20 लाख लोग परोक्ष और अपरोक्ष रूप से 25500 करोड़ सालाना कारोबार करते हैं. वर्ष 2007 से शुरू देश की इस समृद्ध विरासत को बचाने और बढ़ाने के लिए डा. रजनीकांत के प्रयास और ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के तकनीकी सहयोग से अबतक 20 राज्यों के 303 जीआई फाइल किये जा चुके हैं. इनमें से 148 जीआई ग्रांट हुए है. बाकी सभी एक वर्ष के अंदर भारत की बौद्धिक सम्पदा में शुमार हो जाएंगे.