उत्तराखंड- एक ऐसा राज्य जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए तो मशहूर है ही, लेकिन उतना ही भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील भी है. हिमालय की तलहटी में बसे इस राज्य की धरती अक्सर कंपन महसूस करती है. लेकिन अब, विज्ञान और तकनीक के सहयोग से उत्तराखंड ने इस संकट से लड़ने की एक ठोस पहल की है- ‘भूदेव ऐप’ और एक संपूर्ण भूकंप अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के रूप में.
उत्तराखंड जैसे भूकंप संभावित राज्य के लिए यह एक बड़ी तकनीकी पहल मानी जा रही है. अब जब धरती कांपने लगेगी, उससे कुछ सेकंड पहले ही अलर्ट मिल जाएगा. राज्य सरकार ने ‘भूदेव’ नामक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जो 5 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप की अग्रिम चेतावनी जारी करेगा. यह सिस्टम न केवल समय रहते लोगों को सचेत करेगा, बल्कि जान-माल की हानि को भी कम करने में मददगार साबित होगा. हिमालयी क्षेत्र में स्थित उत्तराखंड के लिए यह एक बेहद जरूरी और समयानुकूल कदम है.
‘भूदेव ऐप’ क्या है और कैसे करता है काम?
भूदेव ऐप को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) और IIT रुड़की ने मिलकर विकसित किया है. यह ऐप 5.0 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप का पूर्वानुमान करके लोगों को कुछ सेकंड पहले अलर्ट देता है.
तकनीकी प्रक्रिया-
जैसे ही सेंसर किसी बड़ी सेस्मिक एक्टिविटी को पकड़ते हैं, अलर्ट ट्रिगर होता है.
अलर्ट सायरनों और मोबाइल ऐप के ज़रिए कुछ ही सेकंड में उपयोगकर्ताओं तक पहुंच जाता है.
इन सेकंड्स का उपयोग लोग खुले स्थान पर जाने या किसी सुरक्षित स्थान पर शरण लेने में कर सकते हैं.
भूकंप की चेतावनी कितनी जल्दी मिल सकती है?
भूदेव ऐप के तहत काम कर रहे सेंसर भूकंप के P-Waves (Primary Waves) को पहचानते हैं, जो कि कम नुकसानदेह होती हैं लेकिन भूकंप का पहला संकेत देती हैं. इनकी स्पीड लगभग 6-7 किमी/सेकंड होती है. जबकि मुख्य विनाशकारी S-Waves कुछ सेकंड बाद आती हैं. इसी अंतराल का फायदा उठाकर अलर्ट सिस्टम चेतावनी भेजता है, यह समय 5 से 30 सेकंड तक हो सकता है, जो जान बचाने के लिए काफी होता है.
जोखिम जोन में उत्तराखंड, ज़रूरी था सिस्टम
उत्तराखंड देश के भूकंप के लिहाज़ से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, जो सिस्मिक ज़ोन-04 और ज़ोन-05 में आता है. ऐसे में भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली की सख्त जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी. अब सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है.
IIT रुड़की और यूएसडीएमए की संयुक्त पहल
राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी कि इस सिस्टम को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) और आईआईटी रुड़की ने मिलकर विकसित किया है. इस तकनीक को राज्यभर में लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है.
इस अत्याधुनिक ऐप की शुरुआत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की. ‘भूदेव’ ऐप को कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकता है. जैसे ही भूकंप की तीव्रता 5 या उससे ऊपर होगी, ऐप तुरंत अलर्ट मैसेज जारी करेगा. इससे लोग पहले से सतर्क होकर अपनी जान और संपत्ति की सुरक्षा कर सकेंगे.
उत्तराखंड के कुछ इलाके लगातार झेल रहे ‘माइक्रो भूकंप’
आईआईटी रुड़की और Wadia Institute of Himalayan Geology की रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जैसे ज़िलों में लगातार कम तीव्रता के छोटे भूकंप (माइक्रो-ट्रेमर्स) दर्ज हो रहे हैं, जो किसी बड़े भूकंप का संकेत हो सकते हैं. इसीलिए ये सिस्टम और ज़रूरी हो जाता है.
क्या ये तकनीक पहले भी दुनिया में प्रयोग हुई है?
जापान, अमेरिका (कैलिफोर्निया), मेक्सिको जैसे देशों में इस तरह के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम दशकों से कार्यरत हैं. जापान में तो 2007 से मोबाइल नेटवर्क पर सीधे भूकंप अलर्ट भेजने की व्यवस्था है. उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसने इस तकनीक को इस स्तर पर अपनाया है.
177 सेंसर और 192 सायरन पहले ही लगे
भूकंप की चेतावनी को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए राज्यभर में 177 सेंसर और 192 सायरन पहले ही लगाए जा चुके हैं. इसके अतिरिक्त सरकार 500 नए सेंसर और 1000 अतिरिक्त सायरन लगाने की प्रक्रिया में तेजी ला रही है. ये सभी उपकरण भूकंप के झटकों को पहले ही पहचानने और लोगों तक अलर्ट पहुंचाने में मदद करेंगे.
ऐप ज़रूर करें डाउनलोड
राज्य सरकार ने जनता से भूदेव ऐप डाउनलोड करने की अपील की है. यह ऐप न सिर्फ तकनीक की शक्ति का उदाहरण है, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का संकेत भी है. राज्य इसे लगातार बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहा है ताकि भविष्य में कोई जानमाल का बड़ा नुकसान न हो.
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