राज्‍यसभा का चुनाव अंतिम नहीं, आ रहा एक और चुनाव

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आशीष बागची

राज्‍यसभा(Rajya Sabha) चुनाव ही अंतिम नहीं था एक और चुनाव सिर पर है. यह चुनाव है यूपी विधान परिषद का। इस चुनाव में पुन: विपक्षी एकता की परीक्षा होनी है।अचूक रणनीति में जुटी सपा-बसपा राज्‍यसभा(Rajya Sabha) चुनाव में दसवीं सीट पर मात खा जाने के बाद अब ये दोनों प्रमुख विपक्षी दल सपा-बसपा सावधानी से अपनी रणनीति बना रहे हैं।

13 सदस्‍यों का कार्यकाल समाप्‍त हो रहा है

विधान परिषद की 13 सीटों का कार्यकाल 5 मई को खत्म हो रहा है। जीत की जो गणित है उसमें समाजवादी पार्टी अपने बूते एक ही सीट निकाल पायेगी। जबकि बसपा, कांग्रेस अपने बूते एक भी नहीं। अगर ये दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो दो सीटों पर ही ये जीत सकते हैं। समझा जाता है कि भाजपा को अपने 11 प्रत्‍याशियों को जिताने में कोई खास दिक्‍कत नहीं आने वाली। मगर जैसा कि कल मायावती ने विपक्षी एकता की खबर ली, अगर विपक्षी दल एकजुट हुए तो बाजी पलट सकती है।

चुनाव कुछ समय बाद पर रणनीति अभी से बन रही

सपा व बसपा के रणनीतिकार राज्‍यसभा चुनाव जैसी चूक न हो इस निमित्‍त अभी से कमर कस रहे हैं। राज्‍यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग के चलते पर्याप्‍त वोट होने के बावजूद बसपा अपना प्रत्‍याशी जिताने में कामयाब नहीं हो पायी थी और उनका प्रत्‍याशी भीमराव अंबेडकर चुनाव हार गये थे। इसमें कुछ दलों की राजनीतिक अपरिपक्‍वता कहिये या कुछ और। हार तो हार होती है।

एकता के संकेत अभी से मिल रहे हैं

सपा, बसपा, कांग्रेस आदि अभी से एकजुट होकर विधानपरिषद चुनाव जीतने का तानाबाना बुनने लगे हैं। चूंकि सपा-बसपा-रालोद सभी ने क्रास वोटिंग झेली है, इसलिए वे अपने विधायकों को सावधान कर रहे हैं। आमतौर पर बसपा का चुनावी प्रबंधन बेहद चतुराई भरा माना जाता था, पहली बार ऐसा हुआ कि बसपा का प्रबंधन फेल हुआ। मायावती भले ही इसके लिए भाजपा की वोटों की खरीद-फरोख्‍त को दोषी मान रही हों, पर उसकी प्रबंधन क्षमता पर सवालिया निशान तो लग ही चुका है।

बसपा अपनों से ही मात खा गयी बसपा के बारे में आमतौर पर माना जाता है कि वह बेहद चतुराई से इस मैनेजमेंट को करता है। एक बार तो उसके पास महज 73 वोट थे और उसने 103 वोट जुटा लिये थे। इसलिए इस बार की चूक उसके लिए बेहद सालने वाली मानी जायेगी। बसपा अपने चुनावी प्रबंधन के चलते सरकार में न होने के बावजूद अपने प्रत्‍याशियों को जिताने में महारत रखने वाली पार्टी है।

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उच्‍चस्‍तरीय तैयारियां जारी

राज्‍यसभा(Rajya Sabha) चुनाव में मात खाने के बाद सपा, बसपा और कांग्रेस को राज्‍यसभा चुनाव के दौरान हुई चूक का भली प्रकार एहसास हो रहा है। यह पूरी तरह कुप्रबंध कहा जायेगा कि वोट रहते हुए भी वे चूक गये और विपक्षी गठबंधन अपना एक उम्‍मीदवार नहीं जिता पाया।

एमएलसी पदों के लिए मंथन

दूसरी ओर सत्‍तारूढ़ भाजपा भी पूरी तरह कमर कस रही है। पार्टी की ओर से अहम जिम्‍मदारियां निभानेवालों को ही इसके प्रबंधन की जिम्‍मेदारी दी जायेगी। ऐसा माना जा रहा है कि योगी अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने के मूड में हैं। इसके तहत आधा दर्जन के करीब शिकायतों वाले मत्रियों के पद छीन कर दूसरों को दिये जाने की संभावनाओं पर कयास इन दिनों लगाया जा रहा है। अगर ऐसा रहा तो नये लोगों के मंत्रिपद से नवाजे जाने की संभावना रहेगी। जैसी कि संभावना है अगर केंद्र से पदाधिकारियों को मंत्री बनाकर लाया गया तो उनके लिए विधानपरिषद की सदस्‍यता की व्‍यवस्‍था रखने की जरूरता होगी।

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