ईवी के चार्जिंग स्टेशन बनाने वाले शीर्ष राज्यों में यूपी

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की संख्या तेजी से बढ़ रही है और आने वाले वर्षों में इसमें और वृद्धि की उम्मीद है. इसे देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर चार्जिंग सुविधाओं को बेहतर बनाने में जुटी हैं. इसी प्रयास में उत्तर प्रदेश और दिल्ली चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के मामले में शीर्ष चार राज्यों में शामिल हो गए हैं. कर्नाटक पहले स्थान पर है, महाराष्ट्र दूसरे, उत्तर प्रदेश तीसरे और दिल्ली चौथे पायदान पर है.

दक्षिण भारत आगे

आंकड़ों के अनुसार, चार्जिंग सुविधाओं के मामले में दक्षिण भारत के राज्य उत्तर भारत से आगे हैं. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान और उत्तर प्रदेश बड़े राज्य हैं, लेकिन अकेले कर्नाटक में उत्तर प्रदेश के मुकाबले तीन गुना और राजस्थान के मुकाबले पांच गुना अधिक चार्जिंग स्टेशन हैं. राजस्थान इस सूची में सातवें और गुजरात आठवें स्थान पर है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे स्थानों का चयन करें जहां चार्जिंग स्टेशन और प्वाइंट लगाए जा सकें.

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राज्यों में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या

कर्नाटक: 5,765

महाराष्ट्र: 3,728

उत्तर प्रदेश: 1,989

दिल्ली: 1,941

तमिलनाडु: 1,413

केरल: 1,212

राजस्थान: 1,129

गुजरात: 992

ईवी की हिस्सेदारी (%)

त्रिपुरा: 8.5%

असम: 8.2%

दिल्ली: 7.1%

कर्नाटक: 6.5%

बिहार: 5.4%

उत्तर प्रदेश: 5.2%

उत्तराखंड: 4.8%

झारखंड: 4.4%

गोवा: 2.2%

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72 हजार से अधिक चार्जिंग स्टेशनों का लक्ष्य

गौरतलब है कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने PM E-DRIVE (पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट) योजना शुरू की थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दी और इसकी अधिसूचना 29 सितंबर 2024 को जारी की गई थी. इसे 1 अक्टूबर 2024 से 31 मार्च 2026 तक लागू किया जाएगा.
इस योजना के तहत देशभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (ईवीपीसीएस) के विकास का लक्ष्य रखा गया है. योजना के अंतर्गत आने वाले वर्षों में 72 हजार से अधिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जिससे ईवी उपयोगकर्ताओं को बेहतर सुविधा मिल सकेगी.
सरकार का उद्देश्य इस योजना के जरिए इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देना और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना है, जिससे देश में स्वच्छ और हरित परिवहन को प्रोत्साहन मिलेगा.