वाराणसी. दाऊद इब्राहिम का कथित गुरु और आजीवन कारावास की सजा काट रहा माफिया सुभाष सिंह ठाकुर उर्फ सुभाष राय उर्फ बाबा को सोमवार को बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल से फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया गया. पांच साल से इलाज के बहाने अस्पताल में जमे सुभाष को 12 डॉक्टरों की पैनल ने पूरी तरह स्वस्थ करार दिया. पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल के सख्त रुख के बाद यह कार्रवाई की गई.
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की रिपोर्ट के मुताबिक सजायाफ्ता कैदी सुभाष ठाकुर पूरी तरह स्वस्थ है. इसलिए उसे बीएचयू अस्पताल से फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेजा गया.
कौन है सुभाष ठाकुर?
वाराणसी के फूलपुर थाना क्षेत्र के नेवादा गांव का निवासी सुभाष ठाकुर 90 के दशक में मुंबई के अंडरवर्ल्ड में सक्रिय था. बिल्डरों से रंगदारी, धमकी और हत्याओं के मामलों में उसका नाम चर्चा में रहा. माना जाता है कि इसी दौरान अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम उनके गिरोह में शामिल हुआ, जिसके कारण सुभाष को दाऊद का गुरु कहा जाता है.
26 जुलाई 1992 को अरुण गवली के गुर्गों ने दाऊद इब्राहिम के बहनोई इस्माइल पारकर की हत्या कर दी. इस हत्या का बदला लेने के लिए 12 सितंबर 1992 को मुंबई के जेजे हॉस्पिटल में अंधाधुंध फायरिंग कर गवली गिरोह के शूटर शैलेश और दो सिपाहियों की हत्या कर दी. इस वारदात ने सुभाष ठाकुर को मुंबई के अपराध जगत में कुख्यात बना दिया. हालांकि, 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए.
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क्या है मामला?
वर्ष 1992 के हत्या, हत्या के प्रयास और टाडा एक्ट के एक मामले में मुंबई की अदालत ने सुभाष ठाकुर को वर्ष 2000में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. फतेहगढ़ सेंट्रल जेल प्रशासन के अनुसार, सुभाष ठाकुर ने 2019 में गुर्दे, पेट और आंखों की गंभीर बीमारियों का हवाला देते हुए बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति ली लेकिन बार-बार जेल प्रशासन और पुलिस के पत्राचार के बावजूद वह अस्पताल से डिस्चार्ज होकर जेल नहीं लौटा.
डीजी जेल पीवी रामाशास्त्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस आयुक्त से डॉक्टरों की टीम बनाकर सुभाष की जांच कराई. जांच में सुभाष पूरी तरह स्वस्थ पाया गया, जिसके बाद सोमवार शाम पुलिस सुरक्षा के बीच उसे जेल भेजा गया.
आपकों बता दें कि सुभाष ठाकुर के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और अन्य आरोपों में मुंबई और दिल्ली में कई मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से एक में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई है, जबकि कुछ मामलों में वह दोषमुक्त हो चुका है. वहीं वाराणसी में उसके खिलाफ 1982 और 1991 में दो आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से एक मामले की पत्रावली गायब हो गई.
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माफिया से बाबा बनने तक
सफेद कपड़े और लंबी दाढ़ी के कारण सुभाष ठाकुर को उसके जानने वाले ‘बाबा’ कहते हैं. हिंदी, मराठी और अंग्रेजी में पकड़ रखने वाला यह माफिया एक समय दाऊद के साथ जुड़ा था. लेकिन 2017 में उसने वाराणसी कोर्ट में खुद की जान को दाऊद से खतरा बताते हुए बुलेटप्रूफ जैकेट की मांग की थी.
सरकारी एजेंसियां पर उठे सवाल
सुभाष के पांच साल तक अस्पताल में रहने के मामले ने जेल और पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं. जानकारों का मानना है कि यह मिलीभगत के बिना संभव नहीं है. अब मांग उठ रही है कि इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो.