अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अहम फैसला लेते हुए लगभग 50 साल पुराने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम, Foreign Corrupt Practices Act (FCPA) के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है. इस कानून के तहत अमेरिकी और विदेशी कंपनियों को किसी भी देश में व्यापार के लिए रिश्वत देने से रोका जाता था. ट्रंप के इस फैसले का असर भारत में भी देखा जा सकता है क्योंकि अदाणी समूह के खिलाफ इसी कानून के तहत जांच चल रही थी. ट्रंप के आदेश के बाद अदाणी समूह को इस मामले में अस्थायी राहत मिल सकती है.
समीक्षा करने का निर्देश
सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर किए जिसमें अमेरिकी न्याय मंत्रालय को एफसीपीए के क्रियान्वयन पर रोक लगाने और इसकी समीक्षा करने का निर्देश दिया गया. यह समीक्षा अगले 180 दिनों यानी छह महीनों तक चलेगी. इस दौरान न्याय मंत्रालय एफसीपीए की जांच और प्रवर्तन नीतियों की दोबारा समीक्षा करेगा और नए दिशा-निर्देश जारी कर सकता है.
अदाणी समूह को क्यों मिली राहत ?
अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने एफसीपीए के तहत एक रिश्वतखोरी मामले की जांच शुरू की थी. आरोप था कि अदाणी समूह ने सौर ऊर्जा ठेकों में लाभ पाने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को लगभग 2,100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की योजना बनाई थी. हालांकि अदाणी समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया था. ट्रंप के आदेश के बाद अब इस जांच पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं जिससे अदाणी समूह के शेयरों में उछाल देखा गया है.
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छह अमेरिकी सांसदों ने जताई नाराजगी
ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका के छह सांसदों ने नाराजगी जाहिर की है. इन सांसदों ने अटॉर्नी जनरल पामेला बोंडी को एक पत्र लिखा. जिसमें बाइडन प्रशासन के दौरान न्याय विभाग द्वारा लिए गए कुछ कथित संदिग्ध निर्णयों की तरफ ध्यान आकर्षित कराया गया है .
एफसीपीए: विदेशी भ्रष्टाचार रोकने के लिए बना था कानून
एफसीपीए कानून को वर्ष 1977 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के कार्यकाल के दौरान लागू किया गया था. इस कानून का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी और विदेशी कंपनियों को यह सुनिश्चित करना था कि वे व्यापारिक लाभ के लिए किसी भी देश के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत न दें.
बाइडन प्रशासन में हुई थी अदाणी ग्रुप पर जांच
यह मामला तब सामने आया जब जो बाइडन प्रशासन के दौरान अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने अदाणी समूह और इसके प्रमुख गौतम अदाणी के खिलाफ एफसीपीए के तहत जांच शुरू की थी. बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि अदाणी समूह ने भारत में सौर ऊर्जा से संबंधित अनुबंधों में लाभ लेने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना बनाई थी. इस मामले में गौतम अदाणी के भतीजे सागर अदाणी का भी नाम शामिल किया गया था.
न्याय मंत्रालय के अगले कदम पर रहेगी नजर
हालांकि ट्रंप के इस आदेश से एफसीपीए की जांच अस्थायी रूप से रुकी है लेकिन यह देखना होगा कि अमेरिकी न्याय मंत्रालय छह महीने की समीक्षा के बाद क्या निर्णय लेता है.
ट्रंप के फैसले ने एफसीपीए पर रोक लगाकर न केवल अदाणी समूह बल्कि अन्य वैश्विक कंपनियों को भी राहत दी है. हालांकि यह राहत छह महीने के लिए अस्थायी हो सकती है. इस बीच अमेरिकी न्याय मंत्रालय की समीक्षा प्रक्रिया और भविष्य में एफसीपीए पर लिए जाने वाले निर्णयों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी.