सावन का तीसरा सोमवार आज, जानें भोले किन स्वरूपों की करें आराधना ?
आज सावन का तीसरा सोमवार का व्रत रखा जा रहा है, सावन के सभी सोमवार की काफी मान्यता होती है. शिवजी सृष्टि के तीनों गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं, शिवजी स्वयं त्रिनेत्रधारी हैं. साथ ही, शिव को मूलतः तीन रूपों में ही पूजा जाता है. तीनों रूपों की उपासना करने के लिए सावन का तीसरा सोमवार सबसे महत्वपूर्ण है. सावन के तीसरे सोमवार को इन तीनों रूपों की पूजा करके मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं. प्रदोष काल में शिवजी के इन स्वरूपों की पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है.
शुभ मुहूर्त
सावन का तीसरे सोमवार पर आज तीन मुहूर्त का बन रहे है. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजे 20 मिनट से 5 बजे 03 मिनट तक चलेगा. साथ ही, अश्लेषा नक्षत्र 5 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. साथ ही अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक चलेगा.
शिव का नीलकंठ स्वरूप
समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था तो, मानवता को बचाने के लिए उन्होने उस विष पी लिया था, लेकिन इस दौरान उन्होने विष को अपने कंठ में रख लिया था. जिससे उनका कंठ नीला हो गया था. यही वजह है कि, शिव जी को एक स्वरूप को नीलकंठ कहा जाता है. इस स्वरूप की पूजा करने से शत्रु बाधा, षडयंत्र या तंत्र मंत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है. सावन के सोमवार को शिव के नीलकंठ स्वरूप की पूजा करने के लिए गन्ने का रस शिवलिंग पर डालें. इसके बाद, “ऊं नमो नीलकंठाय” मंत्र का जाप करें, जो नीलकंठ का रूप है. ग्रहों की हर चुनौती समाप्त हो जाएगी.
शिव का नटराज स्वरूप
शिव ने दुनिया में सब नृत्य, संगीत और कला का जन्मदाता माना जाता है. शिव ने अपने शिष्यों को नृत्य कला के हर छोटे-छोटे तथ्य भी बताए हैं, उन्होंने ऐसे नृत्य बनाए जो हमारे मन, शरीर और आत्मा पर प्रभाव डालते हैं. नटराज स्वरूप की पूजा सुख, शांति और आनंद के लिए की जाती है. इनकी पूजा भी ज्ञान, विज्ञान, कला, संगीत और अभिनय में सफलता के लिए उत्तम होती है. सावन के सोमवार को घर में सफेद नटराज की स्थापना सर्वोत्तम मानी जाती है. इनकी उपासना में सफेद रंग फूल अर्पित करें.
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शिव का महामृत्युंजय स्वरूप
शिव का मृत्युंजय स्वरूप है, जिसकी पूजा करके मरने तक जीवित रह सकते हैं. इस तरह शिवजी अमृत का कलश लेकर अपने भक्त की रक्षा करते हैं. भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरूप की उपासना करने से आपको अकाल मृत्यु से बचाया जा सकता है, आपकी आयु सुरक्षित रहती है. आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आपकी हर मनोकामना पूरी होती है. सावन के सोमवार को भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरूप की पूजा करने के लिए शिवलिंग पर जलधारा और बेल पत्र अर्पित करें. इसके बाद अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हुए शिवलिंग की अर्ध परिक्रमा करें. “ऊं हौं जूं सः” मृत्युंजय स्वरूप का मंत्र है.