आज ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ है, जानें इतिहास!

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‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ को सार्थकता प्रदान करने के लिए हिन्दी के साधकों ने अविस्मरणीय कार्य किए। हिन्दी पत्रकारिता के चर्चा के बिना भारतीय समाचार-पत्रों के विकास का ब्योरा अधूरा होगा। हिन्दी समाचार-पत्रों का जनमत बनाने एवं पत्रकारिता के दायित्व निर्वाह में उल्लेखनीय योगदान रहा। आज ‘हिन्दी पत्रकारिता दिवस’ है। हिंदी पत्रकारिता को आज पूरे 191साल हो गए हैं।

हिन्दी पत्रकारिता का उदय

आज ही के दिन 30 मई 1826 को पं0 युगुल किशोर शुक्ल ने देवनागरी में प्रथम हिन्दी समाचार पत्र ‘उदंत मार्तण्ड’ का प्रकाशन आरम्भ किया था। उदन्त मार्तण्ड का शाब्दिक अर्थ है ‘समाचार-सूर्य’। अपने नाम के अनुरूप ही उदन्त मार्तण्ड हिंदी की समाचार दुनिया के सूर्य के समान ही था। लेकिन कानूनी कारणों एवं ग्राहकों के पर्याप्त सहयोग न देने के कारण 19 दिसंबर, 1827 को युगल किशोर शुक्ल को उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन बंद करना पड़ा।

हिन्दी अखबारों की शुरुआत

‘उदंत मार्तण्ड’ के ठीक बाद ‘बंगदूत’ 10 मई 1829 को प्रकाशित हुआ। 1854 को कलकत्ता से एक दैनिक प्रकाशित हआ, जिसका नाम ‘समाचार सुधा दर्पण’ था। इसके बाद 1868 तक अनेक हिन्दी पत्र प्रकाशित होने लगे।

‘बनारस अखबार’, ‘मार्तण्ड’, ‘ज्ञानदीप’, ‘मालवा अखबार’, ‘जगद्दीपक भास्कर’, ‘साम्यदंड सुधाकर’, ‘बुद्धिप्रकाश’, ‘प्रजाहितैषी’ और ‘कविवचन सुधा’ आदि। ‘कविवचन सुधा’ का संपादन भारतेन्दु हरिशचन्द्र किया करते थे। सरस्वती को वर्तमान शताब्दी की अत्यधिक महत्वपूर्ण पत्रिका के रूप में माना जाता है जो 1900 में शुरू हुई।

20वीं शताब्दी के अखबार

19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में हिन्दी के अनेक दैनिक समाचार पत्र निकले जिनमें ‘हिन्दुस्तान’ ‘भारतोदय’,‘भारतमित्र’, ‘भारत जीवन’, ‘अभ्युदय’ ‘विश्वमित्र’ ‘आज’, ‘प्रताप’ ‘विजय’ ‘अर्जुन’ आदि प्रमुख हैं। 20वीं शताब्दी के चौथे-पांचवे दशकों में हिन्दुस्तान ‘आर्यावर्त’ ‘नवभारत टाइम्स’, ‘नई दुनिया’, ‘जागरण’, ‘अमर उजाला’, ‘पंजाब केसरी’, ‘नव भारत’ आदि प्रमुख हिन्दी दैनिक सामने आये।

पाठकों की संख्या में इजाफा

आजादी के बाद हिन्दी में दैनिकों, साप्ताहिकों और मासिकों की संख्या में आशातीत वृद्धि हुई। एक दो अपवादों को छोड़कर हर हिन्दी प्रांत से हिन्दी के सशक्त दैनिक प्रकाशित होने लगे। हिन्दी के पाठकों की संख्या में इतनी वृद्धि हुई है कि दिल्ली, इंदौर, लखनऊ, बनारस, पटना, जयपुर आदि शहरों से कई-कई दैनिक एक साथ निकल रहे हैं। इसी प्रकार ज्ञान-विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में हिन्दी पत्रकारिता प्रभावशाली ढंग से प्रवेश कर चुकी है।

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