200 वर्षों से आस्था का केंद्र है मां काली का यह मंदिर, पूरी होती है हर मुराद

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि की शुरुआती हो गई है और आज यानि 9 अक्टूबर को नवरात्रि का तीसरा दिन है।

0

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि की शुरुआती हो गई है और आज यानि 9 अक्टूबर को नवरात्रि का तीसरा दिन है। आदिशक्ति के विभिन्न स्वरूपों में कालरात्रि के रूप में मां काली शामिल है। पिछले 200 वर्षो से अनूपपुर जिले के कोतमा नगर से लगे ग्राम पंचायत गोहन्द्रा में स्थित तालाब के किनारे माता काली का मंदिर जिले का अस्था का केन्द्र बना हुआ है, मां के दर्शन के लिए यहां नवरात्रि में दूर-दराज से काफी संख्या में लोग आते हैं और अपनी मनोकामनाओं पूरा करने के लिए मां के चौखट पर अपना मत्था टेकते हैं।

हर मनोकामना होती है पूर्ण:

ऐसी मान्यता है की यहां भक्तों की मांगी गई हर मुराद को मां काली पूर्ण करती हैं। इस वजह से यहां काफी संख्या में ग्रामीण अंचलों से भी भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य देख रही महिला पुजारी देवमती बताती है कि अब तक उनकी चार पीढिय़ा मंदिर में स्थापित मां की सेवा कर चुकी है। महिला पुजारी का कहना है कि मां की प्रतिमा कम से कम 300 साल पुरानी होगी।

जलहरी से स्वयं हुई थी प्रकट:

पुजारी देवमति बताती हैं कि मां की प्रतिमा को देखकर अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि यह यह 300 साल पुरानी होगी। महिला पुजारी का कहना है कि मंदिर के पास ही के तालाब के जलहरी से मां काली की प्रतिमा स्वयं ही प्रकट हुई थी। ग्रामीणों ने जब प्रतिमा को देखा तो पूजा अर्चना करके मां की प्रतिमा को तालाब के पास ही रखकर प्राण-प्रतिष्ठा कर दिया।

 

यह भी पढ़ें: जानें भारत के सबसे खूबसूरत घाटों के बारे में, जहां हर व्यक्ति को एक बार जरूर जाना चाहिए

यह भी पढ़ें: पहली बार जंगली घास से बना पॉपकॉर्न, आखिर कैसे बना सबसे पसंदीदा स्नैक? जानिए इसकी कहानी

(अन्य खबरों के लिए हमेंफेसबुकपर ज्वॉइन करें। आप हमेंट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हेलो एप्प इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More