सिंधु जल समझौता स्थगित होने से भारत के इन राज्यों को फायदा…

India-Pak: भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु समझौता स्थगित होने के बाद अब भारत के कई राज्यों को बहुत फायदा होने जा रहा है. कहा जा रहा है कि सिंधु समझौता स्थगित होने के बाद भारत अब 6 नदियों का पानी अपने हिसाब से खर्च करेगा. पाकिस्तान का पानी रोके जाने के बाद भारत के कई राज्यों को अब जरूरत से ज्यादा पानी मिल रहा है.

इन राज्यों को होगा फायदा…

गौरतलब है कि, सिंधु जल समझौता स्थगित होने के बाद भारत के जिन राज्यों को फायदा होगा उसमें जम्मू- कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को इस समय जरूरत से ज्यादा पानी मिल रहा है. इतना ही नहीं इसके साथ पंजाब- हरियाणा के बीच पानी को लेकर चल रहे विवाद का भी समाधान हो जाएगा. इस संधि के स्थगित होने के बाद किसी भी राज्य को पानी की कमी नहीं होगी.

कई राज्यों के बदले हालात…

बता दें कि, गर्मियों के चलते कई जगह हालात बदल गए हैं. गर्मियों में पानी की कमी के साथ नदियों में प्रवाह की समस्या होने लगती है. अन्य प्रदेशों के साथ उत्तरी राज्यों में भी इसका संकट बना रहता है. लेकिन अब सिंधु जल समझौते स्थगित होने के बाद अब हालात बदल गए है.

जल शक्ति मंत्रालय की ‘युद्ध स्तर’ पर तैयारी

जल शक्ति मंत्रालय इस योजना को लागू करने के लिए रात-दिन जुटा हुआ है. एएनआई के सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय युद्ध स्तर पर काम कर रहा है, ताकि पानी की एक-एक बूंद का सही इस्तेमाल हो. जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने साफ कहा, ‘पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी नहीं मिलेगा.’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिंधु जल समझौता 100% लागू होगा, और इस दिशा में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी.

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चार राज्यों के लिए नई उम्मीद..

इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को होगा. इन राज्यों में पानी की कमी लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है. अब तक पाकिस्तान की ओर बहने वाला पानी बर्बाद हो जाता था, लेकिन अब इसे इन राज्यों की जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इससे न केवल सिंचाई और पीने के पानी की समस्या हल होगी, बल्कि इन क्षेत्रों में समृद्धि का नया दौर शुरू हो सकता है.

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क्या है सिंधु जल समझौता?…

सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जिसके तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का पानी दोनों देशों के बीच बांटा गया. हालांकि, भारत ने हमेशा इस समझौते का पालन किया, लेकिन अब सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करने का फैसला किया है.