कमजोर सूर्य से बढ़ सकती हैं ये 3 बड़ी बीमारियां, जानें बचाव के सरल उपाय…

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सूर्य संपूर्ण सृष्टि की ऊर्जा और प्रकाश का मुख्य स्रोत हैं, सूर्य राज्य, औषधि, पिता और भोजन जैसे महत्वपूर्ण कारकों के कारक माने जाते हैं. सूर्य उपासना से व्यक्ति यशस्वी, तेजस्वी और निरोगी बनता है. इसके प्रभाव से शरीर का संपूर्ण विकास होता है और जीवन में ज्ञान, सुख, पद, प्रसिद्धि और सफलता प्राप्त होती है. कारोबार या नौकरी में आने वाली बाधाओं के लिए भी सूर्य की उपासना लाभकारी होती है. सूर्य की कृपा से व्यक्ति को राजकीय सेवा प्राप्त होने के योग भी बनते हैं. लेकिन यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर हो तो व्यक्ति को अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आइए जानते है कमजोर सूर्य किन रोगों को देता है न्यौता…

सूर्य का स्वास्थ्य और रोगों से संबंध

हर ग्रह शरीर के किसी विशेष अंग पर प्रभाव डालता है. ग्रह मजबूत हो तो वह अंग स्वस्थ रहता है, लेकिन कमजोर स्थिति में समस्याएं उत्पन्न होती हैं. सूर्य विशेष रूप से पूरे शरीर की मजबूती और स्वास्थ्य के कारक हैं. यदि सूर्य कमजोर हो जाए तो व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है और विभिन्न बीमारियां घेर लेती हैं.

1. नेत्र रोग

सूर्य आंखों की रोशनी का मुख्य कारक होता है. कुंडली में सूर्य की कमजोरी से आंखों की समस्याएं जैसे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा या दृष्टि कमजोर होने की शिकायत हो सकती है.
उपाय:
-प्रतिदिन प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें.
-सूर्य मंत्र का जाप करें.
-अधिक से अधिक प्राकृतिक प्रकाश में रहें.
-ज्योतिषीय सलाह के अनुसार माणिक्य रत्न धारण करें.

2. हड्डियों की समस्या

सूर्य का सीधा संबंध हड्डियों की मजबूती से है. सूर्य कमजोर होने पर विटामिन डी की कमी हो सकती है, जिससे पीठ दर्द, रीढ़ की समस्या और हड्डियों में कमजोरी होती है.
उपाय:
प्रातःकाल सूर्य को जल अर्पित करें.
सूर्य के इक्कीस नामों का उच्चारण करें.
सूर्य की ओर पीठ करके ध्यान करें.
तांबे के पात्र में जल पीने का प्रयास करें.
ज्योतिषीय परामर्श से माणिक्य धारण करें.

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3. सूर्य और हृदय रोग

सूर्य कमजोर होने पर हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है. सूर्य का शनि या राहु के साथ अशुभ संबंध हृदय संबंधी समस्याओं का मुख्य कारण बनता है.
उपाय:
– प्रातः जल में रोली मिलाकर सूर्य को अर्पित करें.
-आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें.
-तांबे का कड़ा या छल्ला धारण करें.

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