रेप पीड़िता के इंटरव्यू और फोटो दिखाने पर रोक : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में रेप के किसी भी मामले में नाबालिग पीड़ित के इंटरव्यू और उसे किसी भी तरह से दिखाने पर रोक लगा दी है। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार में मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में बच्चियों के बलात्कार मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। इस मामले में आरोपी की पत्नी द्वारा फेसबुक पर विक्टिम का नाम उजागर करने पर कोर्ट ने कहा है कि नाम हटाये जाए और आरोपी की पत्नी को गिरफ्तार किया जाए।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राज्य कमीशन रेप पीड़ित से बात कर सकते है, बशर्ते उनके साथ मनोवैज्ञानिक हो। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हालिया एनजीओ के बारे में किये गए सर्वे की रिपोर्ट पेश करे। मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी।

बिहार सरकार को कड़ी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि बिना जांच-पड़ताल कैसे शेल्टर होम को इतने सालों से फंड दे रहे थे? एमिकस क्यूरी (कोर्ट द्वारा नियुक्त वकील) ने बताया कि कई सालों बाद 2017 में सोशल ऑडिट हुआ। लेकिन ऑडिट करने वाले वहां के स्टाफ से बात कर निकल गए। बच्चियों से बात ही नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से कई सवाल भी पूछे।
मसलन एनजीओ को पैसा बिना किसी उचित जांच के दिया गया था, उनकी विश्वनीयता की जांच हुई? कब से पैसा दिया जा रहा है, साल 2004 से आप पैसा दे रहे है, वो भी बिना पड़ताल किये? क्या पीड़ित लड़कियों की कॉउंसलिंग की गई? सिर्फ एक होम का मामला नही है, 15 ऐसे होम है। बिहार सरकार ने कहा कि सब पर एक्शन लिया गया है, गिरफ्तारी हुई है।

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रेप की घटना पर चिंता

देशभर में हो रही रेप की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता भी जताई। जस्टिस लोकुर ने कहा कि देशभर में हर साल 38,000 से ज्यादा रेप केस दर्ज होते हैं। हर छह घंटे में एक लड़की से बलात्कार की घटना होती है। यह मामला गंभीर विचार का है और किसी को तो इन अपराधों को रोकने की करवाई करनी ही होगी। एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि बच्चियों से बलात्कार का मामला मुजफ्फरपुर के एनजीओ में ही नहीं, बल्कि सोशल ऑडिट में इसी तरह के आरोप 15 अन्य एनजीओ के शेल्टर होम पर भी लगे हैं। ये सभी सरकारी फंड पर पनप रहे हैं।

जस्टिस लोकुर ने कहा कि एनजीओ द्वारा चलाये जाने वाले सभी शेल्टर होम की मॉनिटरिंग रोजाना होनी चाहिए. सभी जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगे होने चाहिए, ताकि मुजफ्फरपुर जैसी घटना न हो. जस्टिस लोकुर ने दिल्ली महिला आयोग को फटकार लगाते हुए कहा कि अपनी राजनीति कोर्ट से बाहर रखें. आप होते कौन हो? हम इस मामले में राजनीति नहीं चाहते. सुप्रीम कोर्ट ने जब ये बातें कही, तब दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल स्वयं कोर्ट में मौजूद थी.

सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर कांड पर स्वतः संज्ञान लिया था। कोर्ट ने मीडिया में आ रही पीड़ित बच्चियों की तस्वीरों पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को आदेश दिया था कि वो बच्चियों का न तो इंटरव्यू लें और न ही तस्वीर दिखाएं। कोर्ट ने अस्पष्ट तरीके से भी तस्वीर दिखाने पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार, महिला-बाल कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग और अन्य को नोटिस जारी कर मंगलवार तक जवाब मांगा है।

CBI मामले की कर रही है जांच

मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना की सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी और डीजीपी को आदेश दिया था कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाए। सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू करते हुए मुकदमा दर्ज किया था। दरअसल, घटना उजागर होने के बाद बिहार में विपक्ष सरकार पर हमलावर है। विपक्ष ने इसकी सीबीआइ जांच की मांग की थी। इस घटना को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाते हुए जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहा था। इसे लेकर विधानमंडल के दोनों सदनों में भी कार्यवाही बाधित की जा रही थी।

क्या है मामला

मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन उत्पीड़न के सनसनीखेज खुलासे के बाद घटना की चर्चा पूरे देश में हो रही है। यहां लड़कियों का मानसिक और शारीरिक शोषण किया जाता था। सात साल की बच्ची तक को दरिंदों ने नहीं छोड़ा था। वह बच्ची बोल नहीं पा रही है। एक लड़की ने तो अपनी सहेली की हत्‍या कर शव को परिसर में ही दफना दिए जाने की भी बात कही है। देश को हिला देने वाले इस सनसनीखेज मामले में स्‍वयंसेवी संस्‍था ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 10 आरोपी जेल में हैं, जबकि एक फरार है। आरोपियों में आठ महिलाएं भी शामिल हैं। इस मामले में राजनीतिक रसूख वाले कई सफेदपोश भी शामिल बताए जा रहे हैं।साभार

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