Nishikant Dubey: भारतीय जनता पार्टी(BJP) से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे के हालिया बयान को लेकर राजनीति तेज हो गई है. विपक्ष लगातार केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमलावर हो गया. इसी बीच राष्ट्रीय लोक मोर्चा के चीफ उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि ऐसा बयान कहीं से उचित नहीं है. न्यायपालिका का सम्मान बनाए रखना भारत के एक-एक नागरिक का कर्तव्य है. ऐसे बयान हमें मूल मुद्दों से भटकाते हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने आगे लिखा कि ब्लॉकेज हो हार्ट में और डॉक्टर यदि ब्रेन की सर्जरी करने लग जाए तो क्या होगा रोगी का? असल बीमारी की जड़ तो कॉलेजियम सिस्टम है. यदि बीमारी को समूल ख़त्म करना है तो उक्त सिस्टम को हटाकर खुली “प्रतियोगिता से जजों की बहाली” की व्यवस्था के लिए हल्ला बोलना पड़ेगा. हल्ला बोल दरवाजा खोल.
क्या बोले थे निशिकांत दुबे?
आईएएनएस के अनुसार, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) कानून पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई को लेकर विवादित बयान दिया. उन्होंने स्पष्ट रूप से संसद द्वारा पारित कानून में हस्तक्षेप पर सवाल उठाते हुए न्यायपालिका पर हमला बोला है. निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा, अगर अदालत कानून बनाने का काम करती है तो संसद का अस्तित्व निरर्थक हो जाता है.
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इसके साथ ही बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद को बंद कर देना चाहिए. उनके इस पोस्ट को कानून के विभिन्न पहलुओं को परखने और कमोबेश उसे निलंबित करने में न्यायपालिका की भूमिका की अप्रत्यक्ष आलोचना के रूप में देखा जा रहा है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान से किनारा करते हुए बीजेपी ने इसे उनकी व्यक्तिगत राय करार दिया और ऐसी टिप्पणियों से बचने का निर्देश जारी किया है.
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क्या था निशिकांत का बयान….
झारखंड के गोड्डा से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को लेकर एक बड़ा और विवादास्पद बयान दिया, जिसे लेकर विपक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. बीजेपी सांसद ने कहा, “देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है. अगर हर मामले में सुप्रीम कोर्ट को ही फैसला देना है तो संसद और विधानसभाओं की कोई जरूरत नहीं है. इन्हें बंद कर देना चाहि