शर्मनाक ! ‘आधार कार्ड’ ने छीन ली शहीद की पत्नी की जिंदगी

0

हरियाणा में एक निजी अस्पताल की संवेदनहीनता सामने आई है। यहां अस्पताल प्रबंधन की जिद के चलते एक शहीद की पत्नी की मौत हो गई, जिन्होंने अपने प्राण कारगिल युद्ध में देश के लिए न्यौछावर कर दिए थे। अस्पताल ने महिला को अपने यहां भर्ती तक नहीं किया। सिर्फ इसलिए, क्योंकि परिजन के पास उसके आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी नहीं थी। परिजन की तरफ से मोबाइल पर आधार कार्ड की ई-कॉपी और आधार नंबर बताया गया। मगर अस्पताल ने उनका इलाज करने से मना कर दिया।

आधार कार्ड ने ले ली शहीद की पत्नी की जान

परिवार का आरोप है कि अस्पताल के इस रवैये के कारण महिला ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। दूसरे अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मौत हुई। यह मामला गुरुवार का है। सोनीपत के महलाना गांव में लक्ष्मण दास रहते थे। वह कारगिल युद्ध में देश के लिए शहीद हुए थे। उनकी पत्नी शकुंतला बीते कई दिनों से बीमार चल रही थीं। बेटा पवन उन्हें इलाज के लिए कई जगह ले गया। वह उन्हें सेना कार्यालय में ले गया, जहां उन्हें निजी अस्पताल में जाने की सलाह दी गई।

आधार कार्ड की ओरिजनल कॉपी न होने से नहीं हुआ इलाज

शकुंतला को इसके बाद यहां के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने तक से मना कर दिया। कारण थी आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी। जी हां, यहां उनसे आधार कार्ड मांगा गया। परिजन ने मोबाइल में आधार की ई-कॉपी दिखाई। आधार नंबर बताया, मगर अस्पताल अपनी बात पर अड़ा रहा। महिला इस दौरान दर्द से तड़प रही थी मगर अस्पताल ने उनकी हालत पर तरस न खाया।

Also Read : गुजरात के लड़के महाराष्ट्र में उड़ाएंगे बीजेपी की नींद!

परिजन ने इस बात को लेकर विरोध जताया और महिला को भर्ती करने के लिए कहा तो पुलिस बुला ली गई। पुलिस मदद के बजाय उल्टा बेटे को धमकाने लगी। शकुंतला की हालत और बिगड़ते देख परिजन फौरन उन्हें दूसरे अस्पताल ले जा रहे थे। मगर रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

मदद के बजाय पुलिस ने परिजनों को धमकाया

अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को लेकर अपनी सफाई दी है। कहा है कि परिजन के हंगामे के चलते उसे पुलिस बुलानी पड़ी। जबकि, पीड़ित पक्ष ने बताया कि पुलिस ने मदद के बजाय उल्टा धमकाना शुरू किया था। अस्पताल के मुताबिक, वह इलाज के लिए तैयार था। मगर परिजन मरीज को इमरजेंसी वॉर्ड से बाहर ले गए। दूसरे अस्पताल ले जाते वक्त मौत हुई। अस्पताल पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन लोगों को पेपर वर्क पूरा करना पड़ता है। वे गंभीर अवस्था में मरीजों को फौरन भर्ती करते हैं।

(साभार-जनसत्ता)

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More