बीते बुधवार को अमेरिका ने अवैध रूप से रह रहे 104 भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया है, जिन्हें एक अमेरिकी सैन्य विमान के माध्यम से अमृतसर पहुँचाया गया. विपक्षी दलों ने अवैध भारतीय प्रवासियों के साथ किए गए व्यवहार, विशेष रूप से उन्हें हथकड़ी और बेड़ियों में बांधकर भेजने पर आपत्ति जताई है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि अमेरिका को निर्वासन का अधिकार है, लेकिन यह सुनकर अच्छा नहीं लगा कि उन्हें सैन्य विमान में हथकड़ी और जंजीरों में भेजा गया. उन्होंने इसे अनावश्यक बताया और सुझाव दिया कि निर्वासन के लिए नागरिक विमानों का उपयोग किया जाना चाहिए.
अमेरिका द्वारा भारतीय नागरिकों के साथ किए गए इस व्यवहार ने भारत में गहरा असंतोष और आक्रोश पैदा किया है, और सरकार से इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की जा रही है.
डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका से भारतीय प्रवासियों के निष्कासन की यह पहली खेप है.
बता दें कि ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ही टैरिफ़ लगाने के साथ-साथ अवैध प्रवासियों को उनके देशों में वापस भेजने का वादा किया था.
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मोदी-ट्रंप की दोस्ती और बदलता समीकरण
पहले कार्यकाल में ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजदीकियों के चर्चे थे. सितंबर 2019 में ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा दिया था. इसके बाद फरवरी 2020 में अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें ट्रंप शामिल हुए थे.
लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यह समीकरण अब तक नहीं दिखा है. ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासियों के मामले में भारत के साथ वैसा ही रुख़ अपना रहा है जैसा अन्य देशों के साथ. हालांकि, इसी महीने पीएम मोदी की राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाक़ात की संभावना जताई जा रही है.
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में कहा, “निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, यह कई वर्षों से चली आ रही है. यह केवल एक देश पर लागू होने वाली नीति नहीं है.”
विशेषज्ञों के अनुसार, इस मुद्दे पर भारत की प्रतिक्रिया सधी हुई है. भारत सरकार अमेरिका के साथ अन्य अहम मुद्दों पर मोलभाव करने के लिए इस पर तीखी प्रतिक्रिया देने से बच रही है.
भारत की नीति पहले से स्पष्ट है कि किसी भी देश में अवैध रूप से रहना सही नहीं है. साथ ही, मोदी की इस महीने होने वाली अमेरिकी यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर बातचीत हो सकती है.
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अमेरिका में भारतीय प्रवासियों की स्थिति
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2023 के बीच 5,477 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया गया. 2020 में सबसे अधिक 2,300 भारतीयों को निष्कासित किया गया था.
2024 में (सितंबर तक) 1,000 भारतीयों को अमेरिका से निकाला गया था.
वहीं 2024 अक्टूबर में अमेरिका इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफ़ोर्समेंट ने 100 से अधिक नागरिकों को एक चार्टर्ड फ़्लाइट से भारत भेजा था.
अमेरिका ने अब तक 18,000 भारतीय नागरिकों को चिह्नित किया है, जिनके अवैध रूप से वहां रहने की आशंका है.
ट्रंप ये कह चुके है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ये आश्वासन दिया है की निर्वासन के मामले में जो सही हो वही किया जाएगा.
अन्य देशों की प्रतिक्रिया
कुछ देशों ने अमेरिका के निर्वासन के तरीके पर नाराजगी जताई है. कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेड्रो ने अपने नागरिकों की गरिमा का हवाला देते हुए उन्हें वापस लाने के लिए अपने सैन्य विमान भेजे थे.
अमेरिका में हुए 9/11 (11 सितंबर 2001) की घटना के बाद से ही अमेरिका में अवैध प्रवासियों को लेकर निगरानी बढ़ती गई.
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अवैध भारतीय प्रवासियों के अमेरिका से निकाले जाने के बाद भारत और अमेरिका के संबंधों पर असर पर बात करें तो भारत इस मुद्दे को अमेरिका के साथ अपने समग्र संबंधों पर हावी नहीं होने देना चाहता. ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में टैरिफ़ और अन्य व्यापारिक मुद्दों पर भी भारत को अमेरिका के साथ बातचीत करनी होगी, इसलिए सरकार फिलहाल संतुलित रुख़ अपनाए हुए है.