शिक्षक दिवस विशेष: क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस? जानिये इसका इतिहास और महत्त्व…

हिंदू धर्म में गुरु और शिष्य की परंपरा वैदिक काल से ही चली आ रही है। हिंदू धर्म में ऋषियों-मुनियों को गुरु का दर्जा प्राप्त होने के साथ ही वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथों को भी गुरु के बराबर रखा गया है।

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हिंदू धर्म में गुरु और शिष्य की परंपरा वैदिक काल से ही चली आ रही है। हिंदू धर्म में ऋषियों-मुनियों को गुरु का दर्जा प्राप्त होने के साथ ही वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथों को भी गुरु के बराबर रखा गया है। गुरु दो शब्दों से मिलकर बना है गु और रु से- ‘गु’ शब्द का अर्थ होता है अंधकार और ‘रू’ का अर्थ होता प्रकाश (ज्ञान)। यानी जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वही गुरु है। गुरु ही हमें सही और गलत के पहचान की दृष्टि देता है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर है। गुरु को कहीं ब्रह्रा विष्णु महेश तो कहीं गोविंद कहा गया है।

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु,

गुरु देवो महेश्वरा,

गुरु साक्षात परब्रह्म,

तस्मै श्री गुरुवे नम:

 

वैदिक काल से ही है शिक्षक का विशेष महत्त्व:

वैदिक काल (1)

वैदिक काल से ही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में गुरु यानी की शिक्षक का विशेष महत्त्व होता है। चाहे वो विद्यालय हो या ऑनलाइन क्लासेज, संगीत हो या कला का अन्य क्षेत्र। जीवन के किसी भी क्षेत्र के शिखर पर पहुचने के लिए गुरुओं की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए, भारत में शिक्षकों की उपस्थिति का जश्न मनाने के लिए एक विशेष दिन समर्पित है। यह दिन 1962 में भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति (दूसरे राष्ट्रपति) डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति के सम्मान में और सभी लोगों के जीवन में शिक्षकों के महत्व को याद करने के लिए अस्तित्व में आया।

शिक्षक दिवस का इतिहास:

डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तिरुतानी के एक मध्यमवर्गीय परिवार हुआ था। डॉ राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। उन्हें एक अविश्वसनीय छात्र के साथ-साथ एक अनुकरणीय शिक्षक माना जाता था जिन्होंने अपना जीवन शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया। जब डॉ।राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने तो उनके कुछ छात्र और दोस्त उनसे मिलकर अनुरोध किया कि उनका जन्मदिन मनाने की इजाजत दें। तो उन्होंने कहा, मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह मेरे लिए गौरव की बात होगी। उसी वक्त से लेकर आज तक भूतपूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन जी के जन्मदिन के मौके पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस का महत्त्व:

एक छात्र के लिए जीवन में शिक्षक दिवस या टीचर्स डे का बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि गुरु ही हमें सही और गलत के पहचान की दृष्टि देता है। शिक्षक एक विद्यार्थी के शैक्षणिक आधार को मजबूत करने के साथ ही उसको नैतिकता का पाठ भी पढ़ाता है। ऐसे में छात्र के पास इस दिन शिक्षक के परिश्रमों के लिए धन्यवाद करने का मौका होता है।

आयोजन:

शैक्षणिक संस्थान गुरु और विद्यार्थी के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए शिक्षक दिवस को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं। गुरु और विद्यार्थी के इस पावन पर्व पर छात्र अपने गुरु को प्यार और सम्मान के साथ बधाई देते हैं। इस दिन शैक्षणिक संस्थान विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन करते हैं।

 

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