ब्राजील में बवाल: पूर्व राष्ट्रपति के समर्थकों ने की हिंसा, राष्ट्रपति भवन में घुसकर की तोड़फोड़

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ब्राजील के धुर दक्षिणपंथी पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के सैकड़ों समर्थकों ने राजधानी ब्रासीलिया में जमकर बवाल काटा। यहां रविवार को भारी हिंसा हुई. देश के कई हिस्सों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई. पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने हिंसा की. उन्होंने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिया और राष्ट्रपति भवन में घुस गए. यह मंजर ठीक वैसा ही था जैसे कुछ दिनों पहले श्रीलंका में देखा गया था. अब हुई हिंसा और तोड़फोड़ में ब्राजील की पुलिस ने 400 लोगों को गिरफ्तार किया है. हालांकि हिंसा की आग अभी भी थमी नहीं है.

क्यों हो रही ब्राजील में हिंसा…

बता दें कि ब्राजील में चुनाव के बाद से ही राजनीतिक संकट बनी हुई है. ब्राजील में 30 अक्टूबर को हुए रिइलेक्शन में लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने जीत दर्ज की. इसके बाद से ही पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया. पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने चुनाव का परिणाम मानने से इनकार कर दिया है. समर्थक तो छोड़िए खुद बोल्सोनारो अपनी हार स्वीकार नहीं कर रहे हैं.

संसद और सुप्रीम कोर्ट में घुसे प्रदर्शनकारी…

हालांकि ब्राजील पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए ब्रासीलिया के थ्री पॉवर्स स्क्वायर के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बनाया था. पुलिस की कोशिश थी की उनको राष्ट्रीय कांग्रेस, प्लानाल्टो पैलेस और सुप्रीम कोर्ट में जाने से रोका जाए. लेकिन प्रदर्शनकारी आगे बढ़ते रहे. हालांकि उनको रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस छोड़े, लेकिन इसका भी कोई खास फायदा नहीं हुआ.


इससे पहले भी हुए ऐसे कई मुद्दे…

साल 2021 में अमेरिका में ऐसी ही हिंसा देखने को मिली थी. ट्रंप के समर्थक अपनी हार नहीं पचा पाए थे. उन्होंने जमकर कैपिटल हिल में हंगामा किया था. इराक में भी आक्रोशित सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर कब्जा कर लिया. ज्यादातर प्रदर्शनकारी इराकी शिया लीडर मुक्तदा अल सदर के समर्थक थे. प्रदर्शनकारी ईरान समर्थित पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री के लिए पूर्व मंत्री और पूर्व प्रांतीय गवर्नर मोहम्मद शिया अल-सुदानी की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे.

इसके अलावा श्रीलंका की घटना कौन भूल सकता है जहां हजारों की तादाद में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन को घेर लिया था. आर्थिक तंगहाली का सामना कर रहे श्रीलंका के लोग प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से नाराज थे.

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