ठेले पर कोयला बेचने से लेकर BMW में सफर करने की कहानी

0

कहते  हैं संघर्ष जितना बड़ा होगा सफलता उतनी ही शानदार होगी। इसलिए अगर आपके जीवन में मुश्किलें है तो उन मुश्किलों से लड़ना सीखिए क्योंकि बिना मेहनत के सामने रखा  हुआ खाना भी पेट तक नहीं पहुंचता है। संघर्षों के बिना मिली सफलता सिर्फ इंसान को सफल बना बना सकती है लेकिन दूसरों के लिए मिसाल नहीं बन सकता।

कुछ ऐसी ही कहानी है एक महिला की जिसने गरीबी और लाचारी के बावजूद एक ऐसी सफल कहानी की किरदार बन गई जिसने खुद के दम पर सफलता  की  मिसाल बन गईं। सबिताबेन कोलसावाला के नाम से मशहूर सविताबेन देवजीभाई परमार आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। बता दें कि सविताबेन एक समय घर-घर जाकर कोयला बेचने का काम करती थी।

लेकिन आज करोड़ों की मालकिन हैं। सविताबेन अहमदाबाद के  एक बहुत ही गरीब दलित परिवार से ताल्लुक रखती हैं। इनके पति ट्रांसपोर्ट कंपनी में कंडक्टर का काम करते थे। लेकिन पति इतना नहीं कमा पाते थे कि पूरे परिवार का खर्च चलाया जा सके। घर की दयनीय स्थिति को देखते हुए  सविताबेन ने भी कुछ काम करने का फैसला किया। लेकिन सविताबेन के लिए सबसे बड़ी मुसीबत ये थी कि वो अनपढ़ थी इसलिए उन्हें काम मिलने में भी दिक्कत हो रही थी।

बहुत प्रयास करने पर भी जब कहीं नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने अपने माता-पिता के धंधे को खुद भी करने का मन बना लिया। दरअसल सविताबेन के मां-बाप कोयला बेचने का काम करते थे। इसलिए सविताबेन ने भी कोयला बेचने का फैसला किया, लेकिन शूरुआत करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे कि कैसे माल खरीदा जाए। इसलिए सविताबेन ने मिलों से जला हुआ कोयला बीनकर उसे ठेले पर लेकर घर-घर बेचना शुरू कर दिया।

Also read : PM मोदी ने ‘इंडिया’ के जन्मदिन पर दी बधाई, जाने कौन है ये…

कठिनाई भरी इस राह पर सविताबेन चलती रहीं और मुश्किलों से डटकर सामना किया। कुछ साल के बाद इन्होंने एक छोटी सी दुकान भी खोल ली और कुछ ही महीनों में उन्हें छोटे कारखानों से ऑर्डर  मिलने शुरु हो गए। इसी दौरान एक सिरेमिक वाले ने इन्हें थोक में ऑर्डर दिया। इसी के साथ सविताबेन का कारखाने का दौर शुरु हो गया।

कोयला वितरण औऱ भुगतान लेने के लिए उन्हें कई बार कारखानों तक जाने का मौका मिलता था। जिसके बाद सविताबेन ने एक छोटी सी सिरेमिक की भट्ठी शुरू कर दी। अच्छी गुणवत्ता की सिरेमिक बनाने की वजह से जल्द ही उनकी पहुंच पूरे मार्केट में हो गई। उसके बाद सविताबेन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

साल 1989 में उन्होंने प्रीमियर सिरेमिक्स का निर्माण शुरू कर दिया और 1991 में स्टर्लिंग लिमिटेड नामक कंपनी की आधारशिला रखते हुए कई देशों में सिरेमिक्स का निर्यात शुरु कर दिया। आज सवितबेन देश की सबसे सफल कारोबारी की सूची में दबदबा बनाए हुए हैं। उनके पास महंगी से महंगी कार हैं और आलीशान बंगले में रहती हैं।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More