गरीबी की वजह से खुद नहीं बन पाए डॉक्टर, आज सैकड़ो डॉक्टर करते हैं इनकी कंपनी में काम

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कहते हैं कि अगर कोई भी इंसान सच्चे मन से किसी काम को करने की ठान ले तो कोई भी दुनिया में ऐसा काम नहीं है जिसमें इंसान को सफलता न मिले। बशर्ते उस काम के प्रति लगन और ईमानदारी से काम करने की जरुरत होती है। कुछ ऐसी ही कहानी आज हम आपके सामने ला रहे हैं जिन्होंने एक ऐसे राज्य से शुरुआत की जहां पर उस समय मूलभूत सुविधाओं का भी कोई इंतजाम नहीं था। लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर उस राज्य में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी कामयाबी का डंका बजा दिया।

इस शख्स का नाम संप्रदा सिंह आज देश  के दिग्गज उद्योगपतियों में से एक हैं। संप्रदा सिंह कभी खुद एक डॉक्टर बन कर गरीब और  असहाय लोगों की मदद करना चाहते थे, लेकिन किस्मत को  शायद कुछ और ही मंजूर था। और वो डॉक्टर नहीं बन पाए। लेकिन उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया जिसकी वजह से आज दुनिया के तमाम डॉक्टर उनके लिए काम करते हैं।

दरअसल, उन्होंने  एल्केम लेबोरेटरीज के नाम से एक फार्मा कंपनी की स्थापना की। जो आज दुनिया की बड़ी कंपनियों में शुमार रखती है। बता दें कि बिहार के जहानाबाद के एक छोटे से गांव में जन्म लेने वाले संप्रदा सिंह का परिवार बहुत ही गरीबी में दिन काट रहा था। लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद बी उनके पिता ने बेटे को डॉक्टर बनाने का सपना देखते हुए बेटे को पटना में तैयारी करने के लिए भेज दिया और खुद दिन रात मेहनत करके बेटे को पढ़ाने लगे।

लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली तो  इन्होंने एक छोटी सी दवा की दुकान खोली। अपनी मेहनत के  दम पर इन्होंने उस एक दुकान से कुछ ही वर्षों में अच्छी कमाई करने लगे । जिसके बाद इन्होंने 1960 में इन्होंने अपने बिजनेस को बढ़ाने के उद्देशय से मगध फार्मा नाम से फार्मास्यूटिकल्स डिस्ट्रीब्यूशन फर्म की शुरुआत की।

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इसके साथ ही उन्हें सफलता मिलनी शुरु हो गई और जल्द ही देश की कई बड़ी कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर बन गए। कुछ समय के बाद संप्रदा सिंह ने फार्मा इंडस्ट्री में खुद की फर्म बनाकर  उतर  गए। मुंबई में उन्होंने इस कंपनी के साथ एक नई शुरुआत कर दी। कुछ साल तक उन्हें बेहद संघर्षों का सामना करना पड़ा। 189 में एक टर्निंग प्वाइंट आया जहां से इनकी किस्मत के सितारे चमकना शुरु कर दिया ।

एल्केम लेबोरेटरीज आज फार्मास्यूटिकल्स और न्यूट्रास्यूटिकल्स बनाती है। करीब 30 देशों में अपने कारोबार को बढ़ाते हुए आज विश्व के फार्मा सेक्टर में इसकी पहचान है। आज इनकी कंपनी करीब 19 हजार करोड़ तक पहुंच गई है। आज संप्रदा सिंह 92 वर्ष के हो चुके  हैं लेकिन उम्र के इस पड़व पर आकर भी वो थके नहाीं है। और बिजनेस की दुनिया में वैश्विक पटल पर देश का नाम रौशन करने में लगे हुए हैं।

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