अध्ययन: कैसे सोशल मिडिया से हो रही बच्चों की मेंटल हेल्थ खराब

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आज के समय में सोशल मिडिया ने बच्चों, युवाओ और बुजुर्गों ने मानसिक स्वस्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है. जिसमे सबसे बुरा असर बच्चों के मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है. अमेरिका में हुए एक रिसर्च के बाद चेतावनी देते हुए एडवायजरी की है. उन्होंने कहा कि सोशल मिडिया बच्चों के लिए खतरनाक है. पेरेंट्स को कुछ खास तरीके अपनाकर बच्‍चों को इसके खतरों से बचाना चाहिए. इससे उनकी मेंटल हेल्‍थ के जोखिम को कम किया जा सकता है.

सोशल मीडिया से पड़ता है नींद पर असर…

रिसर्च के मुताबिक, कई रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में 95 फीसदी टीनएजर्स सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं. इनमें से भी 40 फीसदी टीनएजर्स हर समय सोशल मीडिया पर व्‍यस्‍त रहते हैं. उनके मुताबिक, सोशल मीडिया उनकी नींद पर बुरा असर डालता है. यही नहीं, इससे उनका आत्‍मविश्‍वास हिल रहा है. उनके खाने-पीने के तरीकों पर भी खराब असर पड़ रहा है. उनका कहना है कि जो टीनएजर्स हर दिन 3 घंटे से ज्‍यादा सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उनकी मेंटल हेल्थ बिगड़ने का खतरा ज्यादा है.

एंजाइटी और डिप्रेशन के हो रहे शिकार…

रिसर्च के मुताबिक, सोशल मीडिया के बहुत ज्‍यादा इस्‍तेमाल के कारण ही बच्‍चों में डिप्रेशन और एंजाइटी जैसी ज्‍यादा उम्र में होने वाली बीमारियां पनपने लगी हैं. दरअसल, बच्चों और युवाओं का बहुत कम उम्र में मोबाइल का इस्तेमाल शुरू करना ही बड़ी समसया है. इसका समाधान है कि पेरेंट्स 13 से 17 साल के बच्‍चों से मोबाइल दूर रखें. युवाओं के दिमाग को ज्यादा खतरा होगा. लिहाजा, एक उम्र तक उनसे मोबाइल दूर रखना सबसे अच्‍छा और कारगर उपाय है.

प्यू रिसर्च सेंटर इंटरनेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 30 फीसदी बच्चों व किशोरों में डिप्रेशन और एंजाइटी उनकी सोच को सकारात्‍मक बनाए रखने में परेशानियां खड़ी कर रहा है. ऐसे बच्‍चे खराब हालात से निपटने के लिए तैयार नहीं हो पाते हैं. रिपोर्ट कहती है कि 35 फीसदी युवा सोशल मीडिया पर घंटों बिताते हैं. इनमें से भी 50 फीसदी को लगता है कि सोशल मीडिया के बिना उनका जीवन बेकार है और वे इसे कभी नहीं छोड़ पाएंगे. ये लत दिक्‍कत खड़ी करती है.

ज्यादा फोन चलना से होता है डिप्रेशन का खतरा…

सेपियन लैब के अध्‍ययन में पाया गया कि कई तरह की मानसिक बिमारियों का कारण स्मार्टफोन का ज्यादा उपयोग करना है.अध्‍ययन में स्मार्टफोस का इस्तेमाल करने वाले 27 हजार युवाओं को शामिल किया गया था. शोध में पता चला कि जिसने जितनी कम उम्र में स्मार्टफोन का इस्तेमाल शुरू किया, उसमें अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा ज्यादा था.

कई युवाओं का कहना है कि सोशल मीडिया बुरे समय में उनकी मदद करता है. यही उन्‍हें उनके दोस्तों से जोड़ने में मदद करता है. इससे उनकी क्रिएटिविटी में इजाफा होता है. एडवायजरी कहती है कि नीति-निर्माताओं को सोशल मीडिया के फायदे बढ़ाने और जोखिमों को कम करने वाले नियम बनाने चाहिए.

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