तीन अनपढ़ महिलाओं ने बनाई करोड़ो की कंपनी

0

मन में अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो आप हर मुश्किल कार्य को अंजाम दे सकते हैं। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है इन महिलाओं ने, जिन्होंने लाखों लोगों के सपने को हकीकत में जीकर दिखाया है। राजस्थान के धौलपुर की तीन अनपढ़ महिलाओं ने साहूकार के सूद से परेशान होकर दूध बेचने का काम शुरू किया और आज ये महिलाएं अपनी मेहनत और लगन से करोड़ो के टर्नओवर करने वाली कंपनी खड़ी कर ली है। इनकी सफलता की कहानियों से सीखने के लिए बड़े-बड़े मैनेजमेंट स्कूल के छात्र गांव आ रहे हैं।

महिलाओं ने शुरू किया दूध बेचने का काम

दरअसल, 11 साल पहले जब धौलपुर के करीमपुर गांव में शादी करके तीन महिलाएं अनीता, हरिप्यारी और विजय शर्मा आई थीं। तीनों के पति बेरोजगार थे और उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। जिसके बाद तीनों ने परिवार चलाने के लिए खुद हीं कुछ करने को ठानी। जिसके बाद उन्होंने साहूकार से ब्याज पर पैसे लेकर भैंस खरीदा। महिलाओं को लगा कि वे दूध बेचकर साहूकार को पैसे भी लौटा देंगी और घर की हालत भी ठीक हो जाएगी। मगर ये कर्ज के दलदल में फंसने लगी। और दुधिया औने-पौने दामों पर इनका दूध खरीदता था।

बढ़ता गया कारवां

दुधिया से निराश इन तीनों महिलाओं ने अब खुद हीं डेयरी में दूध लेकर जाने लगी। जिसके बाद धीरे-धीरे एक जीप किराया पर लेकर आस-पास के गावों में भी दूध इकट्ठा कर डेयरी सेंटर पर लेकर जाने लगी। इन महिलाओं की आमदनी बढ़ने लगी। धीरे-धीरे इनके पास दूध खरीदने का प्रस्ताव आने लगा। जिसके बाद इन्होंने अपना कलेक्शन सेंटर खोल लिया। अब हर जगह महिलाएं इनके सेंटर पर दूध लाकर बेचने लगी।

Also read : मजदूरी करने को मजबूर है यह विधायक

खुद की खोल ली कंपनी

पैसे की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इन महिलाओं ने एक संस्था की सहायता से स्वयं सहायता समूह बनाया और लोन लिया। जिसके बाद इन्होंने अक्टूबर 2013 में एक लाख की लागत से ‘अपनी सहेली प्रोडयूसर’ नाम की उत्पादक कंपनी खोल ली। बाद में इन महिलाओं ने अपनी कंपनी के शेयर गांव की महिलाओं को बेचना शुरू किया। वर्तमान में कंपनी की 8000 ग्रामीण महिलाएं शेयर धारक हैं। इतना ही नहीं महज ढाई साल में कंपनी डेढ़ करोड़ की हो गई है।

कैसे मिलता है लाभ?

गांव में दूधियां 20-22 रूपए प्रति लीटर में महिलाओं से दूध खरीदते थे। जबकि कंपनी 30-32 रूपए लीटर में खरीदती है। जिससे दूध देने वाली हर महिला को करीब 1500 रूपए प्रतिमाह की आमदनी हो जाती है। इसके अलावा शेयर के अनुपात में कंपनी के शुद्ध लाभ में से भी हिस्सा मिलता है।

सरकार ने की मदद

कंपनी को राज्य सरकार ने पांच लाख रूपए प्रोत्साहन के रूप में दिए है। जिन्हें लोन के रूप में अन्य महिलाओं को देकर दूधियों के चंगुल से मुक्त कर कंपनी को दूध देने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए। करीब 18 गांव में कंपनी की शेयरधारक महिलाएं हैं। प्रत्येक गांव में महिला के घर पर दूध का कलेक्शन सेन्टर बना रखा है। जहां महिलाएं खुद दूध दे जाती हैं।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More