श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन क्यों फोड़ते हैं दही हांडी, क्या है धार्मिक मान्यता ?

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी का पर्व देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई कोनों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 12 अगस्त को मनाया जाएगा।

इस खास दिन को लोग विभिन्न तरीकों से मनाते हैं। जिनमें से जो मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है, वो है दही हांडी की। दरअसल इस दौरान खासतौर पर लोग मंदिरों आदि में दही हांडी का भव्य आयोजन करते हैं।

हालांकि इस बार कोरोना के चलते ये आयोजन हो पाना मुश्किल दिख रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर जन्माष्टमी के दिन दही हांडी क्यों फोड़ते हैं। आज हम आपको इस आयोजन से जुड़ी कथा के बारे में बता रहे हैं।

क्या है इसके पीछे की मान्यता-

dahi handi

धार्मिक ग्रंथों में श्री कृष्ण के बारे में जो वर्णन मिलता है उसके अनुसार इन्हें मक्खन और मिश्री बेहद पसंद है। यही कारण है कि इनकी पूजन के बाद लगने वाले भोग में इन चीज़ों को ज़रूर शामिल किया जाता है।

श्रीकृष्ण अक्सर गोपियों की मटकियों से मक्खन चुराकर खाया करते थे। गोपियां कृष्ण से परेशान होकर उनकी शिकायत मां यशोदा से करने आती थीं। माता यशोदा के समझाने का भी बाल गोपाल पर कोई असर नहीं होता था।

कहते हैं कि गोपियां अपने दही को श्रीकृष्ण से बचाने के लिए मटकी को ऊंचाई पर टांग देती थीं। लेकिन कान्हा अपनी चतुराई से चढ़कर मटकी से दही या माखन चुरा लेते थे। कृष्ण को उनकी माखन लीलाओं के कारण माखन चोर के नाम से पुकारा जाता है।

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