SP Balasubrahmanyam: 40,000 से अधिक गाने गाए, सुनने वाले के जेहन में हमेशा रहेंगे ताजा

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एसपीबी के नाम से मशहूर दिग्गज पार्श्व गायक एसपी बालासुब्रमण्यम ने तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों के गानों में कई नामी-गिरामी कलाकारों को अपनी आवाज दी है और आज (शुक्रवार) यही आवाज हमेशा के लिए थम गई।

इस महानुभव गायक ने अपने पांच दशक से अधिक लंबे करियर में 16 भाषाओं में 40,000 से अधिक गाने गाए हैं।

कोरोना से संक्रमित थे बालासुब्रमण्यम-

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5 अगस्त को अपने एक फेसबुक पोस्ट में 74 वर्षीय एसपीबी ने कहा था कि उनमें कोरोनावायरस के कुछ हल्के लक्षण दिखे हैं और कुछ दिनों तक पूरी तरह से आराम करने के लिए वह अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा था कि डॉक्टरों ने उन्हें भले ही घर पर रहकर आराम करने की सलाह दी है, लेकिन उन्होंने खुद अस्पताल में रहने का फैसला लिया है ताकि परिवार के लोगों को ज्यादा परेशानी न हो।

उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि वह अस्पताल से दो दिन में छूट जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

छह बार राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किया-

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तमिल फिल्म ‘आदिमाई पेन्न’ में एजजी रामचन्द्रन (एमजीआर) के लिए पी. सुशीला के साथ गाया उनका गाना ‘आइराम निलावे वा’ उनके कई मशहूर गीतों में से एक है। उनके गाए ऐसे ही कई गाने हैं, जो आज भी श्रोताओं के जेहन में ताजा हैं और हमेशा रहेंगे।

जिंदगी के आखिरी क्षणों में एसपीबी की पत्नी सावित्री, बेटा एसपी चरण और बेटी पल्लवी उनके साथ रहे। एसपी चरण खुद भी एक गायक और फिल्म निर्माता हैं।

साल 2001 और 2011 में उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर के लिए उन्हें छह बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है और इसके अलावा भी उन्होंने कई राज्य स्तरीय पुरस्कार भी हासिल किए।

ऐसा था निजी जीवन-

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उनका जन्म 4 जून, 1946 को हुआ था। उनके पिता का नाम एसपी सम्बामूर्ति था, जो एक हरि कथा कलाकार थे और मां का नाम सकुंतलम्मा था। संगीत के प्रति उनका रूझान बचपन के दिनों से ही था। उनकी छोटी बहन पी. सैलजा भी एक प्लेबैक सिंगर थीं।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते वक्त वह गायन प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया करते थे। उन्होंने इसमें कई ईनाम भी जीते हैं।

किसी एक समाचार सम्मेलन में उन्होंने अपने बीते दिनों को याद करते हुए कहा था, “एक ऐसी ही प्रतियोगिता में लोकप्रिय पार्श्व गायिका एस. जानकी ने पुरस्कार देने के दौरान यह कहते हुए मुझमें फिल्मों में गाने का बीज बोया था कि फिल्मों की दुनिया में तुम्हारा एक उज्जवल भविष्य है। उन्होंने यह कहकर मुझे प्रोत्साहित किया था कि वह खुद भी एक प्रशिक्षित गायिका नहीं हैं।”

इस तरह बने सुरों के सरताज-

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बाद में फिल्मों में गाने का अवसर ढूंढ़ने के लिए उन्होंने खुद ही म्यूजिक डायरेक्टरों संग जाकर मिलना शुरू कर दिया।

अपनी जिंदगी में एक बेहद ही विनम्र इंसान के तौर पर पहचाने जाने वाले एसपीबी ने कहा था कि जब एक इंसान अपनी जिंदगी में कुछ हासिल कर लेता है, तो इसके पीछे कई लोगों का हाथ होता है और उनके संदर्भ में, उन्हें दो लोगों का साथ मिला।

अपने दोस्त व रूममेट मुरली के बारे में उन्होंने बताया कि अगर 1966 के दिसंबर में मुरली ने उन्हें जबरदस्ती रिकॉर्डिग स्टूडियो में न भेजा होता, तो वह शायद कभी प्लेबैक सिंगर न बन पाते।

लोगों के दिलों में बनाई एक खास जगह-

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अपने गुरू और संगीतकार एसपी कोंडदापानी के निर्देशन में उन्होंने तेलुगू फिल्म ‘श्री श्री श्री मर्यादा रमन्ना’ के लिए अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया और इसके एक हफ्ते बाद 1967 में उन्होंने फिल्म ‘नक्कारे अडे स्वर्ग’ के लिए अपना पहला कन्नड़ गाना रिकॉर्ड किया।

इसके बाद उन्हें अपने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। अपनी प्रतिभा से उन्होंने लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई है, जहां उनकी यादें हमेशा ताजा रहेंगी।

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