वाराणसी: परिवार को विस्तार देने हजारों किलोमीटर की यात्रा करके साइबेरियन पक्षियों के जोड़े काशी के गंगा के जल में पर अपना डेरा जमा चुके हैं. नवंबर से फरवरी महीने तक इनका प्रवास काशी में होगा. प्रजनन काल बीताने हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर ये प्रवासी पक्षी बदस्तूर काशी सहित आसपास के जनपद में आते हैं.
ठंड में काशी आते है पक्षी…
बता दें कि,साइबेरियन क्षेत्र के ये पक्षी इन दिनों तापमान में भारी गिरावट के कारण अनुकूल मौसम पाकर काशी आना पसंद करते हैं तथा अंडे देने और अंडों का निषेचन करने के बाद अपने बच्चों की देखभाल करते हैं. बच्चों को बड़े होने तथा अपने साथ-साथ उड़ने लायक हो जाने पर ये सभी पक्षी फरवरी महीने में वापसी को लेकर यहां से अपने गंतव्य पर रवाना हो जाते हैं. सबसे खास बात यह देखने को मिलता रहा है कि ये सभी साइबेरिया पक्षी गंगा तथा गंगा किनारे वृक्षों पर अपना डेरा जमाते हैं तथा अपने बच्चों का पालन पोषण करते हैं. काशी में ठंड का मौसम साइबेरियन पक्षी जहां पर निवास करते हैं उसे स्थान से मिलता जुलता है, जिस कारण साइबेरियन पक्षी यहां आना पसंद करते हैं. यह प्रवासी पक्षी विंटर विजिटर बर्ड सेंट्रल एशिया, रसिया के देशों से काशी आते हैं. इनके आने से सारा काशी के घाट गुलजार हो जाता है.
फोटोग्राफी के लिए लालायित रहते है पर्यटक…
बता दें कि, इनको देखने, जानने और इनकी फोटोग्राफी के लिए लोग लालायित रहते हैं. इनके साथ सबसे रोचक बात यह है कि उड़ान भरते समय इनकी आकृति अंग्रेजी के वी लेटर जैसी बन जाती है, जो और भी आकर्षक लगता है. हर साल आने वाले साइबेरियन पक्षी का मूल नाम ओपन बिल स्टार्क है. इनके आने से काशी पक्षी विहार में बदल जाता है. गंगा नदी से समूहों में उड़ान भरने वाले इन पक्षियों को देखना काफी आकर्षक अनुभव रहता है.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय जूलॉजी विभाग की प्रोफेसर चंदना हलदार ने बताया कि साइबेरियन पक्षियों के समूह में हेडेड गीज, नॉर्दन, पिंटेल, कॉमन पोचार्ड, टफ्टेड डक, रूडी, सेल डेट, रेड क्रेस्टेड पोचर्ड, ग्रेट क्रिस्टल ग्रिब का समूह भी पहुंचता है, जो जिले के विभिन्न डैम और वन क्षेत्र में प्रवास करते हैं. साइबेरिया, यूरोप और अमेरिका में ज्यादा ठंड और बर्फ जमने के कारण इन पक्षियों के भोजन में कमी हो जाती है. इस कारण यूरोप व मध्य एशिया से पक्षी दक्षिण एशिया के देशों में प्रवास पर निकल जाते हैं.
जलीय जीव इनका प्रमुख भोजन…
कहा जा रहा है कि इन पक्षियों का जलीय पौधा, मछली, घोंघा आदि इनका प्रमुख भोजन हैं. साइबेरियन पक्षी को किसी तरह से नुकसान पहुंचाना या मारना दंडनीय अपराध है. लगभग 4400 से अधिक किलोमीटर की दूरी तय कर यह पक्षी काशी पहुंचते हैं. इनकी पहचान सिर पर दो काली पट्टियों के कारण हो सकी है. उड़ते समय यह आवाज भी करते हैं और पानी में उतरते समय फाइटर प्लेन की तरह लैंड करते हैं.
ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले पक्षी में विश्व में यह तीसरा स्थान रखते हैं. 29 हजार फीट की ऊंचाई पर भी यह तेजी से उड़ान भरते हैं. मंगोलिया आदि क्षेत्रों से भारत आने के क्रम में एक दिन में यह पक्षी एक हजार किलोमीटर की दूरी तक तय कर लेते हैं. हिमालय के ऊपर से भी यह आसानी से गुजर जाते हैं. इस कारण इन्हें पक्षियों का एथलीट भी कहा जाता है.