भाजपा के खिलाफ विश्वासघात का मामला दर्ज कराएं हिंदू : शिवसेना

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शिवसेना ने सोमवार को भारत के ‘सभी 100 करोड़ हिंदुओं’ से कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ‘धर्मनिरपेक्ष’ घोषित कर ‘विश्वासघात और चरित्र हनन’ किया है और इसके लिए उन्हें (हिंदुओं को) भाजपा के खिलाफ मामला दर्ज कराना चाहिए। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा, “भारत अब एक हिंदू राष्ट्र है। लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को इसी आधार पर चुना है। फिर अचानक हम धर्मनिरपेक्ष देश कैसे बन गए? क्या हिंदुओं का धरती की एक इंच जमीन पर भी अधिकार नहीं है?”

भाजपा के साथ केंद्र व महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की घटक शिवसेना ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी सरकार चुनी गई थी, तब दुनियाभर के हिंदुओं ने इस बात का जश्न मनाया था कि ‘हिंदुत्व सरकार’ अस्तित्व में आई है। संपादकीय के अनुसार, “लेकिन, हाल ही में महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मेलन में कहा कि ‘भारत बिना किसी आधिकारिक राजधर्म के धर्मनिरपेक्ष है।”‘

शिवसेना ने कहा, “यह चौंकाने वाला है और हिंदुओं की पीठ में खंजर घोपने के समान है। भाजपा को पूरे भारत में और खासतौर पर उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व के मुद्दे पर सफलता हासिल हुई है।” संपादकीय के अनुसार, “राम मंदिर बनाने या गाय की रक्षा के वादे हिंदू वोट बटोरने के लिए महज राजनीतिक चालें साबित होंगी, और कुछ नहीं।”

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शिवसेना ने कहा कि अब तक जवाहल लाल नेहरू की धर्मनिरपेक्ष नीतियों को भारत की सभी समस्याओं के लिए दोषी ठहराया जाता था। शिवसेना ने कहा, “धर्मनिरपेक्षता का इस्तेमाल हिंदुत्ववादी ताकतों को हराने में किया गया। ऐसे में, जब हिंदुत्व सरकार सत्ता में आई थी, तब उम्मीद थी कि धर्म निरपेक्षता हमेशा के लिए दफन हो जाएगी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ।”

शिवसेना ने कहा, “हम खुलेआम खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित करने में गर्व महसूस नहीं करते। दुनिया में 56 इस्लामी देश हैं और अमेरिका और रूस जैसे ईसाई देश हैं, चीन, जापान, श्रीलंका और म्यांमार जैसे बौद्ध देश हैं। लेकिन, पूरी धरती पर एक भी हिंदू राष्ट्र नहीं है।”

हालांकि पार्टी ने स्पष्ट किया कि हिंदुत्व की उसकी अवधारणा खोमैनी के ईरान, तालिबान के अफगानिस्तान या आईएसआईएस के इराक-पाकिस्तान जैसी नहीं है, बल्कि देश में रहने वालों द्वारा हिंदू मूल्यों और संस्कृति को स्वीकार करने से है।

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संपादकीय में साथ ही कहा गया, “इसका अर्थ यह नहीं है कि मुसलमानों को भगवा पहनना होगा, चोटी रखनी होगी। ऐसा नहीं है। केवल यह है कि सभी देश और उसके एक समान कानूनों के सामने सिर झुकाएं और वंदे मातरम गाएं। वे अपने घरों या मस्जिदों और गिरजाघरों में अपने धर्म का पालन कर सकते हैं।”

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