कई सिंधु आने वाले समय में आगे आएंगी : पीवी सिंधु

0

ग्लासगो में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाली देश की अग्रणी बैडमिंटन खिलाड़ी पुसर्ला वेंकट सिंधु ने कहा है कि जहां तक बैडमिंटन का सवाल है तो उनका मानना है कि देश में असीम प्रतिभा है और वह दिन दूर नहीं जब दूसरी सिंधु या सायना सामने आ जाएं।

सिंधु ने पूरे देश का दिल जीत लिया

रियो ओलम्पिक में रजत पदक जीतने वाली सिंधु ने 2013 और 2014 में विश्व चैम्पियनशिप में अपने प्रदर्शन को सुधारते हुए इस साल रजत पदक जीता। वह फाइनल मैच में जापान की निजोमी ओकुहारा के हाथों हार गईं लेकिन एक घंटे 50 मिनट तक चले मुकाबले के दौरान सिंधु ने पूरे देश का दिल जीत लिया।

read more :  मुहिम : ‘डॉक्टर’ जो दवा के साथ देता है पेड़ लगाने की ‘सलाह’

अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहा

सिंधु ने भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के अध्यक्ष हिमंता बिस्वा सरमा की उस मुहिम का स्वागत किया है, जिसके तहत वह 2018 एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों तक देश में पदक जीतने की क्षमता रखने वाले कई बैडमिंटन स्टार पैदा करना चाहते हैं।सिंधु के अलावा ग्लासगो में सायना नेहवाल ने भी कांस्य पदक जीता। सायना 2015 के अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं सकीं और सेमीफाइनल में ओकुहारे के हाथों हार गईं। 2015 में सायना ने रजत जीता था लेकिन सायना और सिंधु के पदकों के कारण भारत विश्व चैम्पियनशिप में अपना अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहा।

read more :   …तो कैसे लगेगी ‘धुम्रपान’ पर ‘लगाम’

कई सिंधु आने वाले समय में आगे आएंगी

जहां तक महिला एकल की बात है तो भारत में सायना और सिंधु के अलावा दूर-दूर तक कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं, जो शीर्ष स्तर पर पदक जीत सके लेकिन सिंधु को उम्मीद है कि आने वाले समय में भारत के पास सिंधु और सायना जैसी कई खिलाड़ी होंगे क्योंकि जिस स्तर की प्रतिभा उन्होंने देखी है, इससे यही उम्मीद बंधा है।सिंधु ने मीडिया को टेलीफोन पर दिए गए साक्षात्कार में कहा, “मैं भारतीय बैडमिंटन संघ को शुभकामनाएं देना चाहती हूं। मैं देख रही हूं कि कई सिंधु आने वाले समय में आगे आएंगी। यह काफी हद तक सम्भव है। भारत में असीम प्रतिभा है।”

वैसे यह सिर्फ एक शुरुआत है

सिंधु ने 22 साल की उम्र में वैश्विक स्तर पर चार पदक जीते हैं। विश्व चैम्पियनशिप में तीन और ओलम्पिक में एक पदक के अलावा सिंधु के नाम सुपर सीरीज और ग्रैंड प्रिक्स आयोजनों में भी पदक हैं लेकिन उनकी भूख अभी खत्म नहीं हुई है।सिंधु ने कहा, “काफी अच्छा महसूसस होता है। वैसे यह सिर्फ एक शुरुआत है और मुझे अभी काफी लम्बा सफर तय करना है और देश के लिए कई और सम्मान हासिल करने हैं।”

खेल पर ध्यान लगाना चाहती थी

विश्व चैम्पियनशिप के रोमांचक फाइनल के निर्णायक गेम में एक समय सिंधु और ओकुहारा 20-20 की बराबरी पर थीं। उससे पहले दोनों ने एक-एक गेम जीता था। इस गेम के बारे में पूछे जाने पर सिंधु ने कहा, “मैं उस समय सिर्फ एक अंक हासिल करने और बढ़त बनाने के बारे में सोच रही थी। मैं दबाव से दूर रहते हुए अपने खेल पर ध्यान लगाना चाहती थी।”

read more : 65 हजार पदों पर जल्द होगी ‘भर्तियां’

ओकुहारा को हराना कभी भी आसान नहीं रहा

विश्व चैम्पियनशिप के इस रोमांचकारी मैच से पहले सिंधु और ओकुहारा के बीच छह मैच हुए थे और दोनों ने तीन-तीन मैच जीते थे। अपनी जापानी प्रतिद्वंद्वी के बारे में सिंधु ने कहा, “ओकुहारा को हराना कभी भी आसान नहीं रहा है। वह फाइनल था और मुझे पूरा यकीन था कि यह भी एक कठिन मुकाबला होगा और काफी कठिन रैलियां चलेंगी। मैंने ओकुहारा को कभी भी हल्के में नहीं लिया। मैंने यही सोचकर तैयारी की थी कि यह मैच काफी लम्बा खिंचेगा लेकिन दुर्भाग्य से वह मेरा दिन नहीं था।”

अच्छी भोजन की उपलब्धता पर जोर दिया

सिंधु ने अपना सेमीफाइनल मैच शनिवार देर रात 2.30 बजे पूरा किया और फिर 17 घंटे के भीतर वह एक बार फिर कोर्ट पर थीं। फाइलन मैच 110 मिनट चला, जो महिला एकल मुकाबलों के इतिहास का दूसरा सबसे लम्बा मुकाबला साबित हुआ।फाइनल की तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर सिंधु ने अच्छी नींद और अच्छी भोजन की उपलब्धता पर जोर दिया। सिंधु ने कहा, “हां, मुझे सेमीफाइनल और फाइनल के बीच अधिक समय नहीं मिला। इसलिए मैंने फाइनल के लिए खुद को तैयार करने के लिए आराम करना बेहतर समझा। मैं अगले दिन का कोई कार्यक्रम नहीं बना सकती थी, लिहाजा मैंने आराम किया।”

इंडोनेशियाई कोच मुल्यो हांडोयो को  दिया सफलता का श्रेय

राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद के अलावा सिंधु ने अपनी इस सफलता के लिए इंडोनेशियाई कोच मुल्यो हांडोयो को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि हांडोयो के कारण उनका फिटनेस स्तर ऊंचा हुआ है और 73 शॉट रैली के दौरान इसका सबूत भी दिखा था।सिंधु ने कहा, “हर कोई उस खास रैली के हारे में पूछ रहा था लेकिन मुझे तो लगा कि हर रैली उतनी ही लम्बी थी और दोनों ओर से कई शॉट्स लिए गए। हम दोनों सही मायने में थकी हुई थीं लेकिन इसके बावजूद यह एक रोमांचक मैच साबित हुआ।”

तीन महीनों तक उपयोग नहीं  किया फोन

सिंधु ने अंत में मजाक के लहजे में कहा कि विश्व चैम्पियनशिप में रजत हासिल करने के लिए उन्हें अपने पसंदीदा आइसक्रीम और बिरयानी का त्याग करना पड़ा था। ऐसा ही कुछ सिंधु ने ओलम्पिक के बाद भी कहा था। सिंधु ने कहा कि गोपीचंद ने तीन महीनों तक उन्हें फोन उपयोग नहीं करने दिया था और साथ ही साथ आइसक्रीम तथा बिरयानी से दूर रखा था।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More