रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति को गले लगा सकते हैं पीएम मोदी, शशि थरूर ने की सराहना

शशि थरूर और पीएम मोदी

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की नीति की सराहना की है. उन्होंने कहा कि भारत की तटस्थ नीति ने देश को वैश्विक शांति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर दिया है.

रायसीना डायलॉग में थरूर का बयान

दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग के एक सत्र के दौरान, तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने स्वीकार किया कि उन्होंने तीन साल पहले रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख का विरोध करके गलती की थी. उन्होंने कहा, “मैंने फरवरी 2022 में संसदीय बहस के दौरान भारत की स्थिति की आलोचना की थी, लेकिन अब मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं. भारत के प्रधानमंत्री दोनों -रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों को गले लगा सकते हैं और दोनों देशों में समान रूप से स्वीकार किए जाते हैं.”

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भारत की नीति से शांति प्रक्रिया को मिलेगा बल

थरूर ने कहा कि भारत की तटस्थ विदेश नीति के चलते, देश आज एक शांति स्थापना की दिशा में योगदान देने की स्थिति में है. उन्होंने कहा कि भारत ने यूरोप से दूरी बनाए रखकर लाभ प्राप्त किया है और यदि रूस और यूक्रेन के बीच कोई शांति समझौता होता है, तो भारत को शांति सैनिक भेजने पर विचार करना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उल्लंघन पर थरूर का रुख

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका शुरुआती विरोध संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संप्रभुता के उल्लंघन के आधार पर था. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा सीमा की अखंडता और बल प्रयोग से अंतरराष्ट्रीय विवादों को हल न करने के सिद्धांत का समर्थन करता रहा है.

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भारत का शांति प्रयासों में योगदान

थरूर ने भारत के 49 से अधिक शांति मिशनों का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने वैश्विक स्थिरता बनाए रखने में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने यह भी कहा कि 2003 में जब अमेरिका ने इराक में भारतीय सैनिकों की तैनाती का अनुरोध किया था, तब भारतीय संसद ने इसका सर्वसम्मति से विरोध किया था. हालांकि, यूक्रेन के मामले में स्थिति अलग हो सकती है और यदि आवश्यक हुआ, तो भारत शांति प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार हो सकता है.

रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति वार्ता शुरू

रूस और यूक्रेन के बीच 2022 से चल रहे युद्ध में अब संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में शांति समझौते की प्रक्रिया शुरू हो रही है. भारत की रणनीतिक स्थिति इस समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.