यूपी की राजनीति के ‘पंडित’ हरिशंकर तिवारी का निधन, 88 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति के पंडित कहे जाने वाले बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी का मंगलवार को निधन हो गया। यूपी कैबिनेट में दिवंगत नेता हरिशंकर तिवारी पांच बार कैबिनेट मंत्री बन चुके थे। बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी ने 88 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। मंगलवार की शाम उनके आवास पर ही उनका निधन हो गया। निधन की सूचना मिलते ही धर्मशाला स्थित उनके आवास पर समर्थकों की भीड़ जुट गई।

पं हरिशंकर तिवारी लंबी बीमारी से थे ग्रसित

पंडित हरिशंकर तिवारी करीब दो साल से बीमार चल रहे थे। लंबी बीमारी के चलते मंगलवार को शाम पौने सात बजे उनके धर्मशाला स्थित हाता आवास पर उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार बुधवार दोपहर एक बजे बड़हलगंज स्थित मुक्तिधाम पर किया जाएगा। तिवारी के निधन पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल ने शोक व्यक्त किया है। तिवारी के निधन की सूचना मिलते ही आवास पर समर्थकों की भीड़ जुट गई।

जिस कॉलेज के थे प्रबंधक, वहीं रखा गया पार्थिव शरीर

परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार सुबह पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ हाता परिसर में रखा जाएगा। इसके बाद बड़हलगंज स्थित गांव टांडा ले जाया जाएगा। वहां पर पार्थिव शरीर को नेशनल इंटर कॉलेज में लोगों के दर्शन के लिए रखा जाएगा। वे इस कॉलेज के प्रबंधक रहे हैं। इसके बाद बड़हलगंज स्थित मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।

यूपी की राजनीति में हरिशंकर तिवारी का रोल

6 बार विधायक तो 5 बार बने थे कैबिनेट मंत्री

बता दें कि पूर्वांचल के ब्राह्मणों में अच्छी पैठ रखने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी ऐसी शख्सियत थे, जो पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे। सूबे में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार आई, उसने अपनी कैबिनेट में उन्हें जगह दी। छह बार विधायक रहें, तो पांच बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनने का मौका मिला था।

जेल में बंद रहकर भी जीत गए चुनाव

गोरखपुर के बड़हलगंज के टाड़ा गांव निवासी हरिशंकर तिवारी ने वर्ष 1985 में जेल में बंद रहते हुए चिल्लूपार चुनाव विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ बना ली। उन्‍हें पूर्वांचल की बाहुबली राजनीति का ‘पंडित’ माना जाने लगा।

दो लगातार हार के बाद बेटों को सौंप दी विरासत

दो  लगातार हार के बाद हरिशंकर तिवारी ने चुनाव लड़ना बंद कर दिया। उनके बड़े बेटे कुशल उर्फ भीष्म तिवारी वर्ष 2009 में खलीलाबाद सीट से बसपा के टिकट पर सांसद बने, लेकिन वर्ष 2014 में भाजपा के शरद तिवारी और वर्ष 2019 में भाजपा के ही प्रवीण निषाद से चुनाव हार गए। उनके छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी वर्ष 2017 में बसपा के टिकट पर चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे और जीत गए। अब  कुशल और विनय दोनों बसपा छोड़ कर सपा में शामिल हो गए हैं।

 

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