वाराणसी कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष एडवोकेट लोकेश सिंह के नेतृत्व में आज शुक्रवार को कचहरी में भारत सरकार द्वारा एडवोकेट एक्ट 1961 में संशोधन किए जाने के विरोध में महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित एक पत्रक जिला अधिकारी के माध्यम से दिया गया.
इस पत्रक में उन विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया गया है जो कि एडवोकेट संशोधन बिल में प्रस्तावित हैं. उधर, वकीलों ने कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी कार्यालय के पोर्टिको में काले कानून का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया. इसके अलावा जुलूूस निकालकर कचहरी परिसर में चक्रमण किया.
वकीलों के अधिकारों का कुचलने का आरोप
विधि प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश सिंह ने इस अवसर पर पत्रकारों द्वारा एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 1961 में प्रस्तावित संशोधनों के बाबत पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह कितनी हैरत और अफसोस की बात है कि सरकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा वकीलों को प्रदत्त अधिकारों और उनके कवच को तोड़ने का षड्यंत्र रच रही है. उन्होंने कहा कि 1961 के एक्ट में जो भी सुविधाएं प्राप्त हैं.
वे हमारी न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है ताकि हम बिना किसी डर भय या दबाव के न्याय कि लड़ाई लड़ें. सरकार की तरफ से जो नया ड्राफ्ट बनाया गया है वह वकीलों को अपनी मुट्ठी में रखने के लिए तैयार किया गया है. यह सुधार नहीं बल्कि न्यायिक स्वतंत्रता पर कुठाराघात है. अगर वकील खुद स्वतंत्र नहीं रहेगा तो वह दूसरे के न्याय की लड़ाई को मजबूती से कैसे रख सकेगा ? यह संशोधन बिल न्यायिक स्वतंत्रता और उसकी निष्पक्षता को खंडित करता है जोकि संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.
पत्रक देने वालों में ये थे शामिल
उन्होंने कहा कि हम ऐसे किसी भी तथाकथित सुधार के ख़िलाफ़ हैं जो संविधान और न्याय की मूल भावना को आहत करती हो. आज पत्रक देने वालों में विधि विभाग के जिला अध्यक्ष लोकेश सिंह, एडवोकेट प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह, एडवोकेट महानगर अध्यक्ष मोहसिन खान, नेहा, शादाब अशोक कुमार, शिवानंद राय, संजय कुमार सिंह, वीरेंद्र कुमार पंडित, उमेश चंद्र सिंह, नरेंद्र प्रताप चौबे, डिंपल कुमार सिंह, विनोद कुमार सिंह, एडवोकेट रामआसरे, शफीकुर्रहमान, विजय प्रकाश, राजीव शुक्ला समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे.