लोकसभा में आज पेश होगा ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल…

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संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन आज ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ (एक देश-एक चुनाव) से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे. इन विधेयकों को केंद्रीय कैबिनेट से 12 दिसंबर को मंजूरी मिली थी. इसी क्रम में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आज 129वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश करेंगे. सूत्रों के अनुसार इस विधेयक को लेकर सहमति बनाने के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजे जाने की भी संभावना है. वहीं, भाजपा और शिवसेना ने अपने सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं.

सरकार को सहयोगी दलों का समर्थन

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल को लेकर एनडीए के सहयोगी दल सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. शिवसेना के नेता उदय सामंत ने नागपुर में इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि “यह देश के लिए बेहद अच्छा कदम है. इसे लागू करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता है और हम उनके साथ हैं.”

भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा, “इस मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था. समिति ने विचार-विमर्श कर एक फैसला लिया है, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. अब सभी सांसदों को खुले दिल से इस पर विचार करना चाहिए. विपक्ष को इस मुद्दे पर रचनात्मक बहस करनी चाहिए.”

विपक्ष का विरोध: इसे बताया असंवैधानिक

वहीं, विपक्ष ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का विरोध कर रहा है. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, “कांग्रेस इस विधेयक को पूरी तरह खारिज करती है. यह असंवैधानिक है और लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर करने वाला कदम है. हम इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजे जाने की मांग करेंगे.”

समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने भी विधेयक का विरोध करते हुए कहा, “यह संविधान की धाराओं के खिलाफ है और हमारी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी.”

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे लोकतंत्र विरोधी बताते हुए कहा, “लोकतंत्र बहुलता का समर्थक है, लेकिन ‘एक’ की भावना समाज की सहनशीलता को खत्म कर देती है और सत्ता को निरंकुश बना सकती है.”

बिल के पक्ष और विपक्ष की दलीलें

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर देश में दो स्पष्ट राय सामने आ रही हैं.

– समर्थकों के तर्क: उनका कहना है कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी, आचार संहिता बार-बार लागू नहीं होगी, और विकास कार्यों में बाधा नहीं आएगी. इसके अलावा, मतदान प्रतिशत में भी इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है.

– विरोधियों की दलील: विपक्ष का कहना है कि इससे सरकार की जवाबदेही कम होगी और लोकतंत्र कमजोर होगा. उनका तर्क है कि क्षेत्रीय मुद्दों की अनदेखी होगी और 5 साल तक सरकार निरंकुश हो सकती है.

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रामनाथ कोविंद कमेटी की सिफारिशें

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने कुछ अहम सिफारिशें की हैं:
1. सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाया जाए.
2. यदि किसी राज्य में हंग असेंबली या ‘नो कॉन्फिडेंस मोशन’ पास हो जाए तो दोबारा चुनाव कराए जाएं.
3. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं.
4. दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव पूरे कराए जाएं.
5. चुनाव आयोग एकल मतदाता सूची (सिंगल वोटर लिस्ट) तैयार करे.

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