केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को एक राजमार्ग के उद्घाटन समारोह में कहा कि वह एक ऐसा कानून लाने की योजना बना रहे हैं, जिसके तहत बहुत जल्द देश के गाड़ियों के हॉर्न की आवाज के रूप में भारतीय वाद्ययंत्रों की आवाज का इस्तेमाल किया जा सके। इसके अलावा एंबुलेंस और पुलिस की गाड़ियों में इस्तेमाल किए जाने वाले सायरन के जगह पर आकाशवाणी पर बजाए जाने वाली कर्णप्रिय धुन में बदलने पर विचार कर रहे हैं।
आएगा कानून:
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वाहनों के हॉर्न के जगह पर भारतीय वाद्ययंत्रों के इस्तेमाल के लिए जल्द ही कानून बनाने की योजना बन रही है। इस योजना के तहत सभी वाहनों के हॉर्न और सायरन से बांसुरी, तबला, वायलिन, हारमोनियम जैसे वाद्ययंत्रों की आवाज आएगी। उन्होंने कहा कि मंत्रियों के गुजरते समय सायरन का इस्तेमाल जोरदार आवाज में किया जाता है जो बहुत परेशान करने वाला होता है। इससे कानों को भी नुकसान पहुंचता है।
सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाले शहर:
एक अध्ययन के मुताबिक शहरी क्षेत्रों वाहनों की आवाज़ के वजह से सबसे ज्यादा शोर होता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) देश के कई प्रमुख शहरों में प्रमुख ट्रैफिक जंक्शनों पर डेसिबल स्तर पर नज़र रख रहा है। जिसमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहरों को सबसे ज्यादा शोर वाला पाया गया है। सरकार के आदेश के अनुसार रिहायशी इलाकों में दिन के दौरान शोर का स्तर 55DB और रात में 45DB से अधिक नहीं होना चाहिए।
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