Nepal Plane Crash : नेपाल में ही क्यों होती हैं सबसे ज्यादा विमान दुर्घटनाएं, जानें कारण

0

नेपाल के पोखरा में बीते रविवार (15 जनवरी) यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमे क्रू मेंबर समेत 72 लोग सवार थे नेपाल के अधिकारी मान रहे हैं कि इनमें से कोई भी जीवित नहीं बचा. अब तक 69 लोगों के शव मिल चुके हैं. हादसे में मरने वालों में पांच भारतीय भी हैं. शुरूवात में बताया जा रहा था कि प्लेन टेक्निकल कारणों से क्रैश हुआ, क्योंकि प्लेन में हवा में ही आग लग गई थी.

बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं की नेपाल में कोई विमान हादशा हुआ है. यह तक की नेपाल में तो विमान यात्रा को रिस्की भी बताया जा चुका है तो आइए जानते है कि आखिर यहां इतने हादसे होने की वजह क्या है

Nepal Plane Crash

और क्यों यहां विमान यात्रा को रिस्की बताया जाता है…

नेपाल के इस हिस्से में होती है सबसे ज्यादा विमान दुर्घटनाएं…

पिछला रिकॉर्ड देखें तो नेपाल में सबसे घातक विमान दुर्घटनाएं काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई हैं, जो समुद्र तल से 1,338 मीटर ऊपर है. यह इलाका खासतौर पर जोखिमभरा है क्योंकि यह एक संकीर्ण अंडाकार आकार की घाटी में स्थित है. इसके साथ ही ऊंचे और नुकीले पहाड़ों से घिरा हुआ है. इससे साफ है कि यह हिस्सा उड़ान के लिए वो छूट नहीं देता जितनी चाहिए होती है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश पायलटों का कहना है कि खड़ी और संकरी हवाई पट्टी होने के यहां विमान को नेविगेट करना कठिन हो जाता है. यहां पर छोटे विमानों को लाया जा सकता है, लेकिन बड़े जेटलाइनर्स को नहीं.

Nepal Plane Crash

इन कारणों से होती है में विमान दुर्घटनाएं…

 

1.मौसम का खराब होना विमान दुर्घटनाग्रस्त होने का एक बड़ा कारण है. खराब मौसम में हवा के दवाब के कारण विमान अपनी दिशा भटक जाता है, इस वजह से एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स से संपर्क टूट जाता है और पायलट को सही से रास्ता नहीं मिल पाता. जिस वजह से विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है.

2.प्लेन में दुर्घटना ग्रस्त होने का एक मुख्या कारण ईंधन का खत्म होना भी है. विमान के दोनों विंग्स में विमान के तिरथा होने पर पूरा ईंधन एक दिशा की ओर पलट सकता है, इसलिए अलग अलग चैंबर होते हैं. सभी चैंबर एक दूसरे से जुड़े होते हैं. एच चैंबर में ईंधन खत्म होने पर दूसरे चैंबर से आपूर्ति शुरु हो जाती है. कई बार ईंधन होते हुए भी सप्लाई न होने के कारण इंजन बंद हो जाने से विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है.

3.प्लेन में ज्यादातर दुर्घटनाएं बर्ड हीटिंग या पक्षियों के टकराने से होती हैं जिससे काफी नुकसान पहुंचता है और कई बार तो विमान दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा भी होता है. बता दें कि दुनिया भर में कमर्शियल प्लेन को कम से कम बर्ड हिट की वजह से 1.2 बिलियन डॉलर तक सालाना नुकसान होता है.

4. कई बार मौसम के खराब होने के करण दृश्यता कम हो जाती है और विमान लैंड नहीं हो पता और हवा में ही चक्कर काटता रहता है जिसमे ईंधन के खत्म होने का खतरा रहता है और जिससे विमान दुर्घटना के आसार बढ़ जाते है. ऐसे में इसके बचाव के लिए विमान को किसी पास के एयरपोर्ट पर डाइवर्ट कर दिया जाता है

5. कई बार विमान उड़ाते समय टेक्निकल खराबी आ जाती है, जिसके कारण भी विमान दुर्घटनाएं हो जाती है लैंडिंग के वक्त कई बार विमान के पहिये नहीं खलु पाते। ऐसा होने पर भी विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.

6. कई बार तो ऐसा भी होता है कि पायलट डिसिजन लेने में गलती कर देता हैं, जिसके कारण विमान दुर्घटनाएं होती है. उड़ान के वक्त विमान एटीसी की निगरानी में जरूर होता है, लेकिन निर्णय पायलट का ही होता है.

7. प्लेन के ईंधन की आपूर्ति का पाइप में लीकेज होने के कारण भी ईंधन की सप्लाई बाधित हो जाती है और हादसा होने का खतरा बढ़ जाता है।

नेपाल में विमानों का रखरखाव प्रभावी ढंग से नहीं होता है. न ही उन्हें सही वक्त पर अपडेट किया जाता है. नेपाल में इसी वजह से हर साल लोगों की मौत होती है. 2013 में, यूरोपीय संघ ने नेपाल को फ्लाइट सिक्योरिटी के लिहाज से ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था. नेपाल के हवाई क्षेत्र में आने वाली सभी उड़ानों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था.

Nepal Plane Crash

गौरतलब है कि नेपाल में रविवार (15 जनवरी) को हुए विमान हादसे में कोई भी यात्री जीवित नहीं बचा है. भारत के पड़ोसी देश की राजधानी काठमांडू से पोखरा जा रहा विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. दुर्घटना का वीडियो कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल हो रहा था. जिस वीडियो को गाजीपुर के सोनू जायसवाल ने बनाया था. यह वीडियो दुर्घटना के मात्रा 10 पहले का था. बीबीसी मीडिया के अनुसार, विमान में क्रू मैंबर समेत कुल 72 लोग सवार थे. नेपाल के अधिकारी मान रहे हैं कि इनमें से कोई भी जीवित नहीं बचा. अब तक 69 लोगों के शव मिल चुके हैं.

Also Read: जब अलवर के महाराजा से कंपनी ने मांगी थी माफी, अब 118 वर्षों में पहली बार बनाया रिकॉर्ड, जानें रोल्स-रॉयस का इतिहास

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More