NEP 2020: सीएम स्टालिन बोले- हिंदी ने खत्म कर दी उत्तर भारत की 25 भाषाएं

एम.के. स्टालिन

चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि NEP 2020 के तहत हिंदी और संस्कृत को थोपने की कोशिश हो रही है, जिससे क्षेत्रीय भाषाओं पर संकट आ गया है. उन्होंने दावा किया कि उत्तर भारत की 25 से अधिक क्षेत्रीय भाषाएं हिंदी के प्रभाव में दम तोड़ रही हैं और तमिलनाडु में वे इसे कभी नहीं होने देंगे. इसे राज्य के लिए “2000 साल पीछे ले जाने वाली नीति” करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार 10,000 करोड़ रुपये भी दे तो भी इसे लागू नहीं किया जाएगा.

केंद्रीय मंत्री का जवाब: “NEP भाषा थोपने की नहीं, संरक्षण की नीति”

केंद्र सरकार ने स्टालिन के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि NEP 2020 भाषा थोपने की नहीं, बल्कि भाषाई विविधता को संरक्षित करने और शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप सुधारने के लिए लाई गई है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक पत्र जारी कर स्पष्ट किया था कि “NEP 2020 के तहत तमिल सहित सभी भारतीय भाषाओं को समान महत्व दिया गया है.” उन्होंने तमिल भाषा को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया, जिनमें शामिल हैं: काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम आदि.

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तीन-भाषा नीति पर घमासान

NEP 2020 के तहत छात्रों को तीन भाषाएं (मातृभाषा, अंग्रेजी और एक अन्य भारतीय भाषा) सीखने का विकल्प दिया गया है. वहीं तमिलनाडु सरकार इसे हिंदी थोपने की साजिश बता रही है.
वहीं तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने दोहराया कि राज्य में दो-भाषा नीति ही लागू होगी और तीसरी भाषा के रूप में हिंदी या संस्कृत स्वीकार नहीं की जाएगी.
शिक्षाविदों का मानना है कि 5 से 8 वर्ष की उम्र में नई भाषा सीखना बच्चों के मानसिक विकास के लिए फायदेमंद होता है. दूसरी ओर तमिलनाडु सरकार का यह फैसला सरकारी स्कूलों के छात्रों को इस अवसर से वंचित कर सकता है.

हिंदी बनाम क्षेत्रीय भाषाएं: स्टालिन का बड़ा बयान

स्टालिन ने कहा कि “उत्तर भारत की भाषाएं भी हिंदी के कारण खत्म हो रही हैं.” उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “हिंदी ने भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, हो, खरिया, खोरथा, कुर्माली, कुरुख, मुंडारी जैसी भाषाओं को निगल लिया है. उत्तर प्रदेश और बिहार को हमेशा ‘हिंदी पट्टी’ कहा जाता है, लेकिन असल में वहां की मूल भाषाएं अब खत्म हो रही हैं.”
स्टालिन ने तीन-भाषा नीति को “हिंदी का मुखौटा और संस्कृत का असली चेहरा” बताया और कहा कि तमिल भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए वे इस नीति को कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

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बीजेपी का पलटवार: “डीएमके भाषा विवाद को राजनीति बना रही”

तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने स्टालिन के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि डीएमके सरकार भाषा विवाद का इस्तेमाल सिर्फ राजनीति चमकाने के लिए कर रही है.
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “तमिलनाडु की जनता ने डीएमके की भाषा राजनीति को खारिज कर दिया है. स्टालिन अब ध्यान भटकाने के लिए यह ‘काल्पनिक भय’ फैला रहे हैं. जब उनके खुद के परिवार के CBSE स्कूल और डीएमके नेताओं के स्कूल तीन-भाषा नीति लागू कर रहे हैं, तो सरकारी स्कूलों के छात्रों को इससे क्यों वंचित किया जा रहा है?”

दूसरी ओर तमिलनाडु सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह NEP 2020 को लागू नहीं करेगी और हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करेगी. दूसरी ओर, केंद्र सरकार का कहना है कि NEP छात्रों को अधिक अवसर देने और शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए लाई गई है.