नहीं होगा मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं का आयोजन, जानें सैफई की इस परंपरा को
हिंदू परंपरा के अनुसार जब किसी का निधन होता है तो अंतिम संस्कार के बाद करीब 13 दिनों में तेरहवीं का कार्यक्रम होता है. माना जाता है कि ऐसा करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. लेकिन, यूपी के पूर्व सीएम और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अब उनकी तेरहवीं का आयोजन नहीं किया जायेगा. इसके पीछे की वजह यह है कि सैफई में तेरहवीं की परंपरा नहीं है. जानिए क्यों नहीं होगी मुलायम सिंह की तेरहवीं?
सैफई की परंपरा के अनुसार, मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं का आयोजन नहीं होगा. क्योंकि, यहां तेरहवीं की परंपरा नहीं होती है. बस 11 अक्टूबर से 11वें दिन तक पूरे रीति-रिवाज के साथ शुद्धिकरण हवन होगा. सैफई के लोगों के मुताबिक, अगर किसी बड़े आदमी की तेरहवीं होगी तो उसे देखकर गरीब आदमी भी करेगा. तेरहवीं करने से उस पर आर्थिक बोझ पड़ेगा, जिससे उसे परेशानियां भी झेलनी पड़ेंगी. इसी वजह से तेरहवीं के आयोजन की व्यवस्था नहीं की गई है.
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10 अक्टूबर को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया था और 11 अक्टूबर उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. मुलायम के पैतृक गांव सैफई में यादव परिवार की कोठी से करीब 500 मीटर दूर मेला ग्राउंड पर सपा अध्यक्ष और उनके पुत्र अखिलेश यादव ने उन्हें मुखाग्नि दी.
#WATCH उत्तर प्रदेश: पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार सैफई में किया गया। इस दौरान लोगों ने नेताजी अमर रहे के नारे भी लगाए। pic.twitter.com/5nxBK5Mxft
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 11, 2022
चंदन की चिता पर लेटे मुलायम को मुखाग्नि से पहले अखिलेश ने उनके सिर पर सपा की लाल टोपी लगाई. इससे पूर्व राष्ट्रीय सम्मान के साथ तिरंगे में लाए गए उनके पार्थिव शरीर को मंत्रोच्चार के बीच वैदिक रीति से स्नान कराया गया.
ॐ शांति pic.twitter.com/KxlfUiRQCr
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 11, 2022
बुधवार की सुबह अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम की अस्थियां लेने के लिए गए और उसके बाद परिवार के साथ शुद्धिकरण संस्कार में शामिल हुए.
आज पहली बार लगा…
बिन सूरज के उगा सवेरा. pic.twitter.com/XlboMo8G2V
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 12, 2022
इससे पहले मंगलवार की सुबह अखिलेश यादव और परिवार के अन्य सदस्य एक रथ पर मुलायम सिंह का पार्थिव शरीर लेकर ‘कोठी’ से मेला ग्राउंड पहुंचे थे, जहां लोगों के अंतिम दर्शन के लिए उसे एक विशाल मंच पर रखा गया था. रथ मेला ग्राउंड में पहुंचा तो वहां का माहौल गमगीन हो गया और लोगों की आंखें नम हो गईं.
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